रांची: सड़क दुर्घटना में हुई एक मौत के बाद घनी आबादीवाला मुहल्ला बोड़ेया 20 घंटे बंद रहा और करमटोली चौक से ओरमांझी को जोड़नेवाला महत्वपूर्ण मार्ग बीस घंटे ठप रहा। राज्य की राजधानी के बीचोबीच मार्ग जाम रहने से आने-जानेवाले हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा और मुहल्ले के लोग बेहाल रहे। हैरत की बात है कि राजधानी का एक इलाका बीस घंटे बंद और जाम रहा, यहां तक कि एक मंत्री भी 3-4 घंटे फंसे रहे, लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी वहां नहीं पहुंचे। पहुंचते भी कैसे नववर्ष की शुरुआत जो थी। इस स्थिति से सवाल पैदा होता है कि अधिकारियों का यही रवैया रहा, तो राज्य में सुशासन का सपना कैसे पूरा होगा।
मात्र ब्रेकर की मांग पर ठहर गया राजधानी का एक इलाका
मुहल्लेवासियों की मांग भी छोटी थी। वे महज ब्रेकर बनाने की मांग कर रहे थे। वह भी आज नहीं, पिछले 15 दिनों से। उनका कहना था कि आये दिन इस सड़क पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जबसे यह सड़क बनी है, लगभग 10 मौत दुर्घटना में हो चुकी हैं। रविवार को भी सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद इस मांग ने जोर पकड़ लिया। लोगों का कहना है कि यदि अधिकारी चाहते, तो रविवार की रात ही ब्रेकर बनना शुरू हो गया होता। परंतु दुर्घटना के 16 घंटे बाद इस संबंध में निर्णय लिया गया। नतीजा हुआ कि सोमवार को भी दोपहर 2 बजे तक महज 10-12 युवा सड़क जाम कर हंगामा करते रहे।
कोई वरीय पदाधिकारी नहीं पहुंचा जामस्थल
सोमवार को भी जाम की सूचना पाकर कोई वरीय पदाधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। जाम में फंसे लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। दोपहर बाद नहा-धोकर कुछ छोटे साहब पहुंचे। इसके बाद रोड ब्रेकर बनना शुरू हो गया। लोगों का कहना था कि यदि कल रात ही निर्णय लिया होता, तो यह नौबत नहीं आती। 12-14 घंटे में तो डायवर्सन तक बन जाते हैं। छोटे साहब जब दल-बल के साथ पहुंचे, तो कहीं कोई भीड़ नहीं थी, पुल पर 4-5 लोगों ने जाम कर रखा था और कुछ लोग मृतक के घर के पास थे। मृतक के घर के पास मौजूद सोमा उरांव और सुनील फकीरा कच्छप जैसे लोग, तो प्रशासन को हर संभव सहयोग के लिए तैयार ही थे। छोटे साहबों के पहुंचते ही पुल पर मौजूद 4-5 जामकर्ता किनारे हो गये।
पुलिस ने ही उपलब्ध करा दिया था जाम का सामान
बोड़ेया में सड़क जाम कर रहे लोगों ने रविवार देर शाम पुलिस के समक्ष रोड में डिवाइडर और ब्रेकर बनाने की मांग रखी थी। इस पर पुलिस ने कहा कि तुरंत डिवाइडर बनाना संभव नहीं है। पुलिस ने मांग का तात्कालिक समाधान करते हुए पुलिस ने बैरिकेडिंग का सामान वहां पहुंचा दिया। बस क्या था। जामकर्ताओं को जाम करने में और सहूलियत हो गयी। सोमवार को जाम के दौरान उन्हें बांस-बल्ली भी लाने की जरूरत नहीं पड़ी और उन्होंने बैरिकेडिंग में इस्तेमाल किये जानेवाले पुलिस के उपकरण से ही रोड जाम कर दिया। कई राहगीरों ने तो रांची पुलिस लिखे बैरिकेडिंग को देख यही समझा कि पुलिस ने ही रास्ता बंद कर रखा है। यहां सवाल उठता है जब इतना व्यस्त मार्ग शहर के करीब जाम हो गया तो कोईवरीय अधिकारी वहां क्यों नहीं गया। आखिर इन अधिकारियों से कौन पूछेगा कि हजारों लोगों को परेशानी में क्यों डाला गया। यह सिर्फ लापरवाही ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अराजकता है।