नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) का चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ आज औपचारिक तौर पर विवाद में घिर गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे ने चुनाव आयोग को आज बताया कि अब ‘‘वास्तविक तौर पर’’ पार्टी की अध्यक्षता इसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव नहीं बल्कि अखिलेश कर रहे हैं। इससे पहले सोमवार को मुलायम खुद चुनाव आयोग के मुख्यालय पहुंचे और आयोग को बताया कि वह अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं और प्रतिद्वंद्वी खेमे की ओर से उनके बेटे अखिलेश की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी सपा के संविधान के मुताबिक ‘असंवैधानिक’ है।
अखिलेश के वफादार समझे जाने वाले नेताओं- राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा ने आज सुबह आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की और सपा एवं इसके चुनाव चिह्न पर दावेदारी जताई। चुनाव आयोग के समक्ष अखिलेश की नुमाइंदगी करने वाले तीनों नेताओं को मुलायम ने सपा से बाहर कर दिया है। आयोग के साथ बैठक के बाद राम गोपाल ने पत्रकारों को बताया, ‘‘असल समाजवादी पार्टी हम हैं क्योंकि 90 फीसदी लोग हमारे साथ हैं।’’ राम गोपाल मुलायम के चचेरे भाई हैं और इस पूरे विवाद में वह अखिलेश के साथ हैं। उनसे पूछा गया था कि उन्होंने पार्टी और चुनाव चिह्न के बारे में आयोग को क्या बताया। प्रतिद्वंद्वी खेमों की ओर से पार्टी और इसके चुनाव चिह्न पर दावेदारी जताए जाने के साथ ही गेंद आयोग के पाले में चली गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान किसी भी वक्त किया जा सकता है, ऐसे में आयोग के पास इस मसले पर फैसला करने के लिए काफी कम वक्त रह गया है। अंतरिम उपाय के तौर पर आयोग ‘साइकिल’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगा सकता है और दोनों धड़ों से कह सकता है कि वे किसी नए चिह्न पर चुनाव लड़ें। आयोग दोनों खेमों को चुनाव लड़ने के लिए तब तक कोई नया नाम दे सकता है जब तक सपा और इसके चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ के ‘स्वामित्व’ पर अंतिम फैसला न हो जाए।
सोमवार दोपहर से ही दिल्ली में मौजूद रहे मुलायम अब लखनऊ पहुंच चुके हैं जबकि उनके करीबी मंत्री मोहम्मद आजम खान यहां पहुंचे हैं। आजम ने कहा कि वह सुलह कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘कुछ भी मुमकिन है। किसने सोचा था कि उनका निष्कासन वापस ले लिया जाएगा?’’ मुलायम के करीबी सहयोगी अमर सिंह के कटु आलोचक आजम को सपा के मुस्लिम चेहरे के तौर पर देखा जाता है और मौजूदा विवाद के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर खुद को तटस्थ दिखाया है। इस मामले में फैसले से पहले आयोग मुलायम और अखिलेश से एक-दूसरे के पक्ष पर जवाब देने को कहेगा। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया में अंतिम आदेश आने में चार महीने तक का वक्त लग सकता है।