नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज बहुमत के आधार पर दिये गये अपने फैसले में कहा कि धर्म के आधार पर वोट देने की कोई भी अपील चुनावी कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है।
शीर्ष न्यायालय ने बहुमत के आधार पर व्यवस्था दी कि चुनाव कानून में ‘उनका’ शब्द का अर्थ व्यापक है और यह उम्मीदवारों, मतदाताओं, एजेंटों आदि के धर्म के संदर्भ में है। बहुमत का विचार हालांकि यह था कि चुनाव कानून में ‘उनका’ शब्द केवल उम्मीदवार के संदर्भ में है। शीर्ष न्यायालय में बहुमत का विचार प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति एलएन राव, न्यायमूर्ति एसए बोबडे का था, जबकि अल्पमत का विचार न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का था।
न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में इस फैसले का बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है।