लखनऊ: बसपा पर जातिवादी पार्टी होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हार स्वीकार चुके हैं और इसीलिए वह कह रहे हैं कि अगले विधानसभा चुनाव पार्टी की जीत या हार का मुद्दा नहीं है। मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘विरोधी दल बसपा पर गलत आरोप मढ़ते हैं कि वह जातिवादी पार्टी है (विरोधी दल ऐसा इसीलिए करता है) ताकि अन्य जातियों के लोग बसपा को वोट ना दें। ये राजनीतिक साजिश है।’’
उन्होंने कहा कि बसपा की चार सरकारों के समय पार्टी ने दलितों के अलावा अन्य सभी जातियों के हितों के लिए काम किया था। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद के भीतर और बाहर ऊंची जाति के गरीबों को आरक्षण की मांग भी उठायी है। मायावती ने कहा, ‘‘हम जातिवादी नहीं है, इसका ताजा सबूत है कि हमने अगले चुनाव के लिए समाज के सभी वर्गों को टिकट दिया। हमने उम्मीदवार काफी पहले ही तय कर लिये थे।’’ उन्होंने बताया कि 403 सीटों में से 85 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। बसपा ने 87 टिकट दलितों, 97 मुसलमानों, 106 अन्य पिछड़े वर्ग, 113 ऊंची जाति के लोगों (66 ब्राह्मण, 36 क्षत्रिय और 11 कायस्थ, वैश्य एवं पंजाबी) दिये हैं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने काफी समय पहले ही प्रत्याशी तय कर लिये थे और इसमें अब कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन सूची बाद में जारी की जाएगी। मायावती ने चुनाव में किसी से गठजोड़ की संभावना से भी इनकार किया।
भाजपा की लखनऊ में सोमवार को हुई महापरिवर्तन रैली पर वह बोलीं, ‘‘पहली बार कल जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे तो उनके चेहरे का नूर गायब था.. उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बगल में बैठे थे और मैंने पाया कि उनके चेहरे का नूर भी गायब है।’’ उन्होंने कहा कि कल साबित हो गया कि जिस तरह की बात भाजपा कर रही है और जिस तरह की बयानबाजी हो रही है, उत्तर प्रदेश में वह सत्ता में आने वाली नहीं हैं। मायावती ने कहा कि कल का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण दर्शाता है कि उन्होंने हार स्वीकार कर ली है और उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में नहीं आ रही है। मोदी बार बार कह रहे थे कि ये चुनाव हार जीत के लिए नहीं लड़ा जाएगा बल्कि जिम्मेदारी के लिए लड़ा जाएगा।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री किस जिम्मेदारी की बात कर रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि कैसे ढाई साल में भी वह चुनावी वायदों का एक चौथाई भी पूरा नहीं कर सके। मायावती ने कहा कि नये साल के मौके पर वह प्रधानमंत्री को उनकी जिम्मेदारियां याद दिलाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चुनावी वायदा विदेश में जमा काला धन 100 दिन में वापस लाने का था। कहा था कि हर गरीब के खाते में पंद्रह पंद्रह लाख रूपये जमा करा दिये जाएंगे। वह पार्टी कार्यकर्ताओं को उनकी जिम्मेदारी बता रहे हैं लेकिन उन्हें ये भी देखना चाहिए कि वह खुद कितने जिम्मेदार हैं। मायावती ने कहा कि बिहार की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारा जवाब दिया। ध्यान बंटाने के लिए प्रधानमंत्री और उनके मंत्री शिलान्यास और घोषणाओं में लग गये भले ही उसके लिए बजटीय आवंटन हो या ना हो।
उन्होंने कहा कि जब जनता इस बहकावे में नहीं आयी तो उन्होंने (मोदी सरकार) बिना तैयारी के नोटबंदी कर दी। नोटबंदी से दस महीने पहले से वे फर्जी सदस्यता के जरिए एकत्र काले धन को सफेद करने में लग गये। उन्होंने अलग अलग राज्यों में पार्टी कार्यालय तथा दिल्ली में बड़ा कार्यालय निर्माण के लिए भूखंड खरीदे और सबका भुगतान पहले ही कर दिया गया। अन्य दलों के बारे में बात करने से पहले उन्हें (भाजपा) को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। नोटबंदी की निन्दा करते हुए मायावती ने कहा कि आने वाले दिनों में ये एक काले अध्याय के रूप में देखा जाएगा और कोई इसे भूल नहीं पाएगा। देश की 90 प्रतिशत जनता इसे लेकर चिन्तित है। उन्होंने कहा कि बहुमत ने भाजपा को अहंकारी बना दिया। ‘‘मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि वह 2017 में प्रधानमंत्री को सदबुद्धि दें। नोटबंदी ईमानदार के लिए अभिशाप बन गया। लोगों की बैंक कतार में लगे लगे मौत हो गयी और अपना ही धन निकालने के लिए लोगों को गंभीर कठिनाइयां हुईं।
मायावती ने दावा किया कि उनकी पार्टी अगले चुनाव में विजयी होगी और सरकार बनाएगी। उन्होंने राज्य की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में चल रही अंतर्कलह पर नहीं बोलने के लिए प्रधानमंत्री पर तंज किया और कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस या सपा को वोट देने का मतलब भाजपा को फायदा पहुंचाना है।