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    Home»Breaking News»डॉ अजय कांग्रेस के आयातित नेता झारखंडी भावना की समझ नहीं: आजसू
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    डॉ अजय कांग्रेस के आयातित नेता झारखंडी भावना की समझ नहीं: आजसू

    azad sipahiBy azad sipahiJanuary 7, 2019Updated:January 7, 2019No Comments3 Mins Read
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    रांची। कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार की राजनीतिक पृष्ठभूमि कुछ नहीं है। उन्हें न तो राजनीतिक और न ही सामाजिक रूप से कोई समझ है। वह मुख्य रूप से ब्यूरोक्रेट्स रहे हैं। ये बातें आजसू के मुख्य केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे ही आयातित नेताओं के कारण झारखंड की दुर्गति हो रही है, जो न तो झारखंड को जानते हैं और न ही झारखंड के मूल विषयों को समझते हैं। डॉ अजय का न तो कोई नीति है और न ही कोई सिद्धांत। वह बस किसी तरह राजनीतिक रोटी सेंकते रहे हैं। देवशरण भगत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय द्वारा दिये गये बयान का जवाब दे रहे थे।

    डॉ अजय ने रविवार को गिरिडीह में कहा था कि आजसू की विचारधारा के हम सब खिलाफ हंै। महागठबंधन का जो प्रारूप तैयार किया गया है, उसमें आजसू कहीं नहीं है। डॉ अजय के इन्हीं बयानों का जबाव देते हुए देवशरण भगत ने कहा कि अजय का राजनीतिक पदार्पण बाबूलाल की पार्टी से हुआ था, लेकिन जिस थाली में खाना खाया, उसी में छेद करने का काम किया था। इसी कारण बाबूलाल ने उन्हें लात मार दी। इनसे ऐसी कोई उम्मीद नहीं करते हैं कि वह पार्टी के संदर्भ में कोई मशविरा दें।

    डॉ देवशरण भगत ने कहा कि आजसू पार्टी का जन्म ही संघर्ष से हुआ है। हमारी विचारधारा मूलत: झारखंड की संस्कृति, यहां की पहचान, यहां के मूल्यों के साथ रही है। अजय कर्नाटक से हैं और हम झारखंड की माटी से, दोनों स्थानों की माटी में फर्क है। वर्तमान सरकार के साथ गठबंधन के विषय पर डॉ देवशरण भगत ने कहा कि इतिहास बहुत कुछ सिखाता है और हमने बहुत कुछ सीखा भी है।

    हमने 2014 में एक स्थिर सरकार देने की कोशिश की थी, ताकि राज्य का विकास हो सके, लेकिन कई ऐसे मुद्दे जैसे स्थानीयता, सीएनटी-एसपीटी एक्ट, शराब बिक्री, बड़ी संख्या में विस्थापन को लेकर लगातार विरोध करते रहे हैं। मंडल डैम योजना पर आजसू प्रवक्ता ने कहा कि 1972 में ही यह योजना शुरू हुई थी, लेकिन इतने दिनों तक क्यों रूकी रही, इसका मूल्यांकन सर्वप्रथम होना चाहिए।

    गरीबों के साथ भी न्याय हो: मोदी कैबिनेट द्वारा सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के सवाल का आजसू पार्टी ने खुल कर समर्थन नहीं किया। हालांकि उन्होंने इतना अवश्य कहा कि सभी गरीबों के साथ न्याय होना चाहिए। आजसू भी शुरू से ही 73 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करती रही है, जिसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32 अनुसूचित जाति को 14 और पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का समर्थन करती रही है।

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