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    Home»Jharkhand Top News»बाबूलाल ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, कहा- उपचुनाव कराने में नियमों का पालन हो
    Jharkhand Top News

    बाबूलाल ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, कहा- उपचुनाव कराने में नियमों का पालन हो

    adminBy adminJanuary 3, 2024No Comments3 Mins Read
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    रांची। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भारत के निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने गांडेय विधानसभा में उपचुनाव से पहले नियमों का पालन करने की बात कही है।
    पत्र में कहा गया है कि न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया कि कार्यकाल की शेष अवधि की गणना उस तारीख से की जानी चाहिए, जिस दिन आनेवाले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है। इस प्रकार इसमें कोई संदेह नहीं है कि अब उपचुनाव झारखंड में नहीं हो सकता है। यह उल्लेख करना उचित होगा कि इसीआइ भी इसी स्थिति को स्वीकार करता है और उसने 9 अक्टूबर 2018 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के लिए भी यही रुख अपनाया है। ऐसे में अगर कोई गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करता है और उसका अनुरोध मान लिया जाता है, तो यह पूरे राज्य को संवैधानिक संकट में डाल देगा। एसआर चौधरी बनाम पंजाब राज्य 2001, 7 एससीसी 126 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गैर-विधायक बनने की प्रथा की निंदा की है और कहा है कि यह संविधान के ढांचे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। मेरी राय है कि किसी ऐसे व्यक्ति को, जो विधानमंडल का सदस्य नहीं है। उसके बिना लगातार छह महीने की अवधि के लिए बार-बार मंत्री नियुक्त करने की अनुमति देना संविधान को नष्ट करना होगा। इस बीच खुद को निर्वाचित किया जा रहा है। यह प्रथा स्पष्ट रूप से संवैधानिक योजना के प्रति अपमानजनक, अनुचित, अलोकतांत्रिक और अमान्य होगी। अनुच्छेद 164-4 केवल विधायिका के मंत्री होने के सामान्य नियम के अपवाद की प्रकृति में है, जो लगातार छह महीने की छोटी अवधि तक सीमित है। इस अपवाद को अत्यंत असाधारण स्थिति से निपटने के लिए अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाना आवश्यक है और इसका कड़ाई से अर्थ लगाया जाना चाहिए और संयमित रूप से उपयोग किया जाना चाहिए। स्पष्ट आदेश है कि यदि संबंधित व्यक्ति लगातार छह महीने की छूट अवधि के भीतर विधायिका के लिए निर्वाचित नहीं हो पाता है, तो वह मंत्री नहीं रह जायेगा। ऐसे में उपचुनाव की अनुमति नहीं दी जा सकती। लोकतांत्रिक प्रक्रिया जो हमारी संविधान योजनाओं के मूल में निहित है, उसका इस तरह से उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
    बाबूलाल मरांडी ने पत्र में कहा है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि एक गैर-विधायक मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के आदेश के अनुसार अपने कार्यालय की तारीख से छह महीने के भीतर विधायक बनना होगा। पांचवीं झारखंड विधानसभा के लिए किसी भी विधानसभा सीट के लिए आयोजित, कोई भी व्यक्ति जो गैर-विधायक है। मुख्यमंत्री-मंत्री की शपथ नहीं ले सकता है, क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत होगा और उक्त व्यवस्था होगी। पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हो। इसलिए विनम्रतापूर्वक प्रार्थना की जाती है कि राज्य के हित में राज्यपाल ऐसे किसी भी अनुरोध को स्वीकार नहीं करना चाहेंगे, जो पूरी तरह से भारत के संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।

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