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    Home»बिजनेस»भारतीय मजदूर संघ ने वित्त मंत्री को आयकर की न्यूनतम सीमा 10 लाख रुपये करने सहित कई सुझाव दिए
    बिजनेस

    भारतीय मजदूर संघ ने वित्त मंत्री को आयकर की न्यूनतम सीमा 10 लाख रुपये करने सहित कई सुझाव दिए

    shivam kumarBy shivam kumarJanuary 6, 2025No Comments3 Mins Read
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    नई दिल्ली। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 2025-26 के केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने सहित कई सुझाव दिए हैं। असंगठित क्षेत्र के लिए दिए गए सुझाव में योजना कर्मियों की पहचान श्रमिक के रूप में करने की भी मांग की गई है। असंगठित क्षेत्र के अधिक से अधिक श्रमिकों को समायोजित करने के लिए बजटीय आवंटन बढाने की मांग की गई है।

    भारतीय मजदूर संघ की ओर से क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने केंद्रीय वित्‍त मंत्री को संगठन ने आशा, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील कर्मियों और एनएचएम कर्मियों के साथ-साथ अन्य सभी योजना कर्मियों के मानदेय में वृद्धि करने, जम्मू कश्मीर बैंक को भी अन्य सभी बैंकों के समान वित्त मंत्रालय के अधीन लाने, वेतन संहिता 2019 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को तुरंत अधिसूचित करने और इनकम टैक्स की न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग की है। साथ ही पेंशन धारियों को पेंशन की राशि को टैक्स मुक्त करने की मांग सीतारमण से बजट में करने की मांग की है।

    मजदूर संघ की ओर से सरकार से मनरेगा को जारी रखने प्रत्येक परिवार के लिए 200 दिनों के काम की गारंटी के प्रावधान के साथ मनरेगा का दायरा व्यापक करने कृषि और संबद्ध क्षेत्र के श्रमिकों को मनरेगा से जोड़ने की बात कही है। इसके साथ ही मनरेगा को दी जाने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होनी चाहिए। असंगठित क्षेत्र के अधिक से अधिक श्रमिकों को समायोजित करने के लिए बजटीय आवंटन बढाने की मांग की गई है।

    बजट में असंगठित क्षेत्र के सामाजिक सुरक्षा बोडौ के लिए उचित वित्त पोषण सुनिश्चित करने के साथ विभिन्न औद्योगिक बोर्डों जैसे बीड़ी श्रमिक कल्याण बोर्ड, ठेका श्रम बोर्ड आदि के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित करने की मांग की है। भारतीय मजदूर संघ ने श्रम-प्रधान क्षेत्र जिसमें बागान, बीड़ी, कृषि और मत्स्य पालन के लिए विशेष पैकेज प्रदान करने कमी मांग की है।

    भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि चूंकि ई-श्रम डेटा 30 करोड़ है, इसलिए इसके लाभों पर कोई उल्लेख या स्पष्टता नहीं है। सरकार को इसके लाभ और इससे लाभान्वित होने के तंत्र दोनों का विज्ञापन करना चाहिए। असंगठित श्रमिकों के लिए पहले से उपलब्ध अन्य लाभों को भी ई-श्रम कार्ड से जोड़ा जा सकता है। ई-श्रम डेटा के आधार पर बजटीय प्रावधान किए जाने चाहिए जिनका उपयोग ई-श्रम कार्ड के जरिए किया जा सकता है।

    संघ ने पहले कदम के रूप में ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये से बढाकर 5000 रुपये करने और अन्‍य सुविधा देने की मांग की है। इसके साथ ही ईपीएफ के लिए कवरेज सीमा बढ़ाकर 30000 रुपये और ईएसआईसी के लिए 42000 रुपये करने की मांग की है। ई-वृद्धावस्था सम्मान भत्ता सभी राज्यों में आन्ध्र प्रदेश के समान किया जाए एवं इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करावाए। इसके साथ ही पुरानी पेंशन बहाल करने, ग्रेच्युटी की राशि गणना 15 दिन प्रति वर्ष की जगह 30 दिन प्रति वर्ष करने की मांग की गई है।

    भारतीय मजदूर संघ ने पीएलआई योजना के तहत ग्रामीण आधारित एमएसएमई को उच्च प्राथमिकता देने, बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने और एमएसएमई के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए जिला मुख्यालयों में सिंगल-विंडो डिजिटल लाइसेंसिंग कैंप आयोजित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही सभी निगमों, नगर पालिकाओं और ग्रामीण निकायों में स्थायी पद सृजित करेने और श्रमिकों को रोजगार देने, विशेष रूप से सफाई और सीवेज कर्मचारियों को देने की मांग की है।

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    shivam kumar

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