मुंबई: हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी सर्पण तब होती है जब दुल्हा दुल्हन के मांग में सिंदूर लगाता, मंगलसूत्र पहनाता है तब कही जाकर ये शादी वैध मानी जाती थी, लेकिन अब यह सब शादी को प्रमाणित नहीं कर सकेंगी, यह हम नहीं कह रहे बल्कि कुछ ऐसा ही फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक मामले में सुनाया है।
दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला एक महिला की याचिका पर दिया है, जिसने 40 साल के एक व्यापारी से मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने शादी करने का दावा किया था। याचिका में उसने यह भी कहा था कि वो उस दिन के बाद से आजतक उसके नाम का अपने माथे पर सिंदूर लगा रही है और मंगलसूत्र पहन रही है।
महिला ने अपनी याचिका में व्यापारी के साथ शारीरिक संबंध होने का दावा करते हुए खुद को वैवाहिक अधिकार दिलाने का अनुरोध किया था।
महिला इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीपी धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक विवाह से जुड़े सभी रीति-रिवाज पूरे नहीं हो जाते या कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता, तब तक उसे शादी नहीं माना जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने महिला और व्यापारी के रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप मानने से भी इनकार कर दिया, क्योंकि दोनों एक साथ, एक छत के नीचे नहीं रह रहे थे।
खबर के अनुसार यह महिला पहले से ही शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं। हालांकि उसका पहले पति से तलाक भी हो चुका है, लेकिन अपने दोनों बच्चों की खातिर वो अभी भी अपने ससुराल में ही रह रही है।