रिजर्व बैंक से सस्ते ब्याज दरों की आस लगाए लोगों को तगड़ा झटका लगा है। आरबीआई ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद होम लोन की ईएमआई कम नहीं होगी।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को भी हुई। समिति की आज की बैठक में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया। फिलहाल रेपो रेट 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। वहीं रिवर्स रेपो रेट को भी 5.75 फीसदी ही रखा गया।
अपने ऐलान में रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की जीडीपी वद्धि का अनुमान घटाकर 6.9 प्रतिशत किया। अगले वित्त वर्ष में इसके 7.4 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रूख को नरम से निरपेक्ष किया है। रिजर्व बैंक का अनुमान मुद्रास्फीति जनवरी-मार्च में पांच प्रतिशत से नीचे रहेगी।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने नोटबंदी का मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले अस्थायी प्रभाव को ध्यान में रखते हुये अपना रूख तटस्थ किया है। नये नोटों की आपूर्ति बढ़ने के साथ साथ बैंकों के पास जमा नकदी का स्तर कम होता जायेगा। अगले वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में बैंकों के पास बहुतायत में नकदी होगी।
आरबीआई की मौद्रिक नीति की बैठक के अहम बिन्दु
– नीतिगत ब्याज दर (रेपो) 6.25 प्रतिशत पर यथावत।
– आर्थिक वद्धि दर 2016-17 का अनुमान घटा कर 6.9 प्रतिशत किया गया। वर्ष 2017-18 में वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
– अगले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि में तेजी से सुधार की संभावना।
– वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4-4.5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5-5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
– कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, विनिमय दर में उतार चढ़ाव और 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बड़े प्रभाव से मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने का खतरा।
– वर्ष 2017 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में तेजी आने की संभावना।
– संरक्षणवादी रक्षान तेज होने से वैश्विक व्यापार में मंदी का अनुमान।
– रिजर्व बैंक ने नीतिगत रुख को नरम की जगह तटस्थ किया।
– मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव नोटबंदी के अस्थायी प्रभावों के कारण।
– पुराने की जगह नए नोटों की आपूर्ति बढ़ने के साथ बैंकों के पास नकदी की बाढ़ कम होगी। बहर हाल नकदी की बाढ़ 2017-18 के शुरुआती महीनों में बने रहने की संभावना।
– जल्दी-जल्दी आने वाले सामयिक आंकड़ों से सेवा क्षेत्र, की गतिविधियों, वाहनों की बिक्री, घरेलू हवाई माल परिवहन, रेल माल ढुलाई तथा सीमेंट उत्पादन के मद्धिम होने के संकेत।
– खाद्य और ईंधन को छोड़, मुद्रास्फीति सितंबर से 4.9 प्रतिशत पर अड़ी हुई है।
– नीतिगत समीक्षा में बैंकों के अवरद्ध रिणों का समाधान तेजी से करने तथा बैंकों में नयी पूंजी डालने का काम तेज करने पर जोर ताकि कर्ज की दरें और नीचे आ सकें।
– मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-6 अप्रैल 2017 को।