“राजनीतिक दलों पर बेनामी नकद चंदे की सीमा 20,000 रुपये से घटा कर 2,000 रुपये तक सीमित करने के बाद सरकार ऐसा कानूनी संशोधन करने जा रही है जिसके तहत उन्हें हर साल दिसंबर तक आय का विवरण विभाग में दाखिल करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने उन्हें मिली कर छूट खत्म हो जाएगी।”
सरकार ने कल पेश 2017-18 के बजट में चुनावी बांड शुरू करने का निर्णय किया है। बैंकों से यह बांड खरीदने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा और इसके लिए कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पीटीआई भाषा से विशेष बातचीत में कहा कि राजनीतिक दलों को आयकर से छूट मिली हुई है।
लेकिन आधे दल ऐसे हैं जो अपनी आय और निवेश का विवरण (आईटीआर) विभाग में प्रस्तुत नहीं करते। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट के साथ प्रस्तुत वित्त विधेयक में आयकर कानून में ऐसे संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत पार्टियों को हर साल दिसंबर तक आईटीआर दाखिल करना जरूरी हो जाएगा। उदाहरण के लिए उन्हें आकलन वर्ष 2018-19 (यानी एक अप्रैल 2017 से शुरू हुए वर्ष 2017-18 की आय के आकलन के वर्ष) के लिए आयकर विभाग में 31 दिसंबर 2018 तक विवरण प्रस्तुत करना होगा।
अधिया ने कहा कि उन्होंने (राजनीतिक दलों ने) दिसंबर तक आईटीआर दाखिल नहीं किया तो उनकी कर-छूट खत्म हो जाएगी। हम इसके लिए लिए उन्हें नोटिस भेजेंगे। इससे कड़ा अनुशासन लागू होगा। हमारा अनुभव है कि 50 प्रतिशत राजनीतिक दल पिछले दो साल से आईटीआर दाखिल नहीं करा रहे हैं। ये अपेक्षाकृत छोटे दल हैं जिन्हें आईटीआर दाखिल करने की परवाह ही नहीं लगती है।
उन्होंने कहा कि यदि इन्होंने दिसंबर तक आईटीआर दाखिल न किया तो वे कर छूट का लाभ गवां सकती हैं। अधिया ने कहा कि इस समय बहुत सी राजनीतिक पार्टियां आयकर विवरण दाखिल करने में दो-दो, तीन-तीन साल देर करती है। अभी काननू में व्यवस्था है कि आप देर से आईटीआर फाइल कर सकते हो पर खर्चे पर छूट नहीं मिलेगी।
अब हम कह रहे हैं कि जो भी समय दिखाया गया है उसके अंदर आप आईटी रिटर्न प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव बांड के जरिये चंदा देने वाले का नाम गुप्त रखने के लिए जन प्रतिनिधि कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखेगी। उन बैंकों के नाम जल्दी ही अधिसूचित किए जाएंगे जो इस तरह के बांड जारी करने को अधिकृत होंगे। माच तक इसके दिशानिर्देश भी जारी हो जाएंगे।
उन्होंने कहा वित्त विधेयक और आयकर अधिनियम में संशोधन के प्रस्तावों के बाद जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करना जरूरी हो गया है क्योंकि इसमें 20,000 रुपये से अधिक के सभी चंदादाताओं के नाम और पते निर्वाचन आयोग को बताने जरूरी हैं। इससे चंदा देने वाले की गोपनीयता खत्म हो जाएगी। इसलिए हमें इस धारा को संशोधित करना होगा।