रियाद: धीमी पड़ रही इकनॉमिक ग्रोथ ने सउदी अरब में काम कर रहे विदेशी कामगारों के सामने एक बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है। अब सउदी सरकार विदेशियों की जगह अपने यहां के लोगों को नौकरी देने में वरीयता दे रही है। सउदी सरकार के इस कदम के चलते पिछले कई सालों से इस अरब देश में नौकरी कर रहे लोगों की आजिविका पर खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि इसी तरह चलता रहा तो बड़ी मात्रा में विदेशी कामगारों की नौकरी जा सकती है।
तेल की घटती कीमतों ने बिगाड़ा खेल
गौरतलब है कि कच्चे तेल की घटती कीमतों ने सउदी अरब की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाला है।
कॉस्ट कटिंग और ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को नौकरी पर रखने की वजह से अब वहां विदेशी कामगारों के लिए पहले जैसे हालात नहीं रहे। सउदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑइल एक्सपोर्टर था, लेकिन तेल की कम कीमतों ने उसकी अर्थव्यवस्था पर बेहद ही बुरा प्रभाव डाला है।
बड़ी संख्या में गरीब मुल्कों के कामगारों की नौकरियां गईं
2014 से ही तेल की कीमतों में गिरावट जारी है। इसके बाद से सउदी को बड़ा बजट घाटा झेलना पड़ा था। यही नहीं, देश में काम कर रही प्राइवेट फर्म्स, खासकर कंस्ट्रक्शन बिजनस से जुड़ी फर्म्स पर करोड़ों डॉलर का कर्ज हो गया था। सउदी बिन लादेन ग्रुप ने हाल के कुछ महीनों में कुल 70 हजार लोगों को नौकरी से निकाल दिया। इनमें से ज्यादातर दक्षिण एशिया समेत कई गरीब मुल्कों से थे।
विदेशी भी छोड़कर जा रहे बिजनस
जहां एक तरफ सउदी कंपनियां अपने यहां छंटाई कर रही हैं, वही विदेशी कारोबारी भी बिजनस छोड़कर जा रहे हैं। आजकल शायद ही कोई बिजनस हो जो सउदी में अच्छा कर रहा हो। कंपनियां भी लगातार लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं जिनमें सबसे ज्यादा असर भारतीय, पाकिस्तानी और फीलिपिंस के कामगारों पर पड़ा है। कई विदेशियों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल नहीं हो रहा है और वे बिजनस छोड़कर जा रहे हैं। कई कंपनियां अपनी ऑपरेशन कॉस्ट घटाने के लिए यूरोपिय और अमेरिकी लोगों की छंटनी कर रही हैं।
कम कमाने वालों को अपनी फैमिली भेजनी होगी घर
यहां जिन लोगों की कमाई महीने में 10,000 रियाल से कम है, उन्हें कहा जा रहा है कि या तो अपने परिवार को अपने देश भेज दें या नौकरी छोड़ दें, ताकि सउदी के स्थानीय लोगों के लिए जगह बनाई जा सके। यही नहीं, सउदी सरकार जुलाई तक विदेशी वर्कर्स पर लेवी लगाने की तैयारी कर रही है। यदि यह व्यवस्था लागू होती है तो उन्हें हर महीने 100 रियाल (लगभग 1700 रुपये) की लेवी देनी होगी। 2020 तक इसे 400 रियाल (लगभग 6,800 रुपये) करने की योजना है।