नयी दिल्ली। भारत सरकार को खुफिया जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद के चरमपंथी भारत में कई जगहों पर आत्मघाती हमले की तैयारी कर रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद से ही आतंकी गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी आ रही थी। राष्टय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की 20 फरवरी को तीनों सेनाओं के प्रमुखों से अलग-अलग बातचीत हुई थी। इसके बाद नियंत्रण रेखा पार कर कार्रवाई का फैसला किया गया। यह फैसला भी हुआ कि इस बार वायुसेना को कार्रवाई की जिम्मेवारी दी जायेगी, क्योंकि पिछली बार सर्जिकल स्ट्राइक में थलसेना के कमांडो शामिल थे। डोभाल ने वायु सेनाध्यक्ष को कार्रवाई का ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा।
भारतीय वायु सेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीरेंद्र सिंह धनोवा ने कार्रवाई के लिए मिराज 2000 का चयन इसलिए किया, क्योंकि इस युद्धक विमान को रडार भी मुश्किल से ही पकड़ पाता है। यह विमान करीब ढाई हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है और बिना दोबारा ईंधन भरे लगातार सात घंटे तक उड़ सकता है। एयर चीफ मार्शल ने कारगिल युद्ध के दौरान मिराज से ही दुश्मन के दांत खट्टे किये थे। पोखरण में 16 फरवरी को हुए युद्धाभ्यास के बाद इन मिराज विमानों को ग्वालियर की बजाय आदमपुर (पंजाब) स्थित वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया गया।
वहां इन्हें लेजर गाइडेड बमों से लैस किया गया। इसके साथ 24 फरवरी से ही भारतीय वायुसेना के अवाक्स (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) को भी सक्रिय कर दिया गया। अवाक्स को पूरे पाकिस्तान की वायुसेना, उसके वायुसैनिक अड्डों और उसकी वायुसीमा में होनेवाली गतिविधि पर नजर रखने को कहा गया। दिल्ली के हिंडन एयर बेस पर तैनात युद्धक विमानों को भी तैयार रहने को कहा गया था। कार्रवाई के लिए आदमपुर एयर बेस को इसलिए चुना गया, क्योंकि यहां से मिराज विमानों को लक्ष्य तक पहुंचने में महज 12 से 15 मिनट का वक्त लगना था।
वायुसेना कम से कम समय में इस आपरेशन को पूरा करना चाहती थी। मंगलवार तड़के अंबाला के पास स्थित आदमपुर एयर बेस से कई मिराज विमान उड़े और निश्चित लक्ष्यों पर बम बरसाये। विमानों ने एलओसी को पार किया और नियंत्रण रेखा के नजदीक बालाकोट नाम के एक कस्बे पर बम गिराये। यह अभियान करीब 45 मिनट में पूरा हुआ। विमान तड़के साढ़े तीन बजे उड़े और सवा चार बजे तक सभी विमान सुरक्षित लौट आये।