Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»भ्रष्टाचार पर कार्रवाई से जिन्हें दर्द है, उनका मर्ज क्या है?
    Top Story

    भ्रष्टाचार पर कार्रवाई से जिन्हें दर्द है, उनका मर्ज क्या है?

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskFebruary 28, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं? अगर किसी सरकारी दफ्तर में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हों और उन्हें दुरुस्त करने के लिए कोई अभियान चले तो क्या इसका विरोध होना चाहिए? दुर्भाग्य से झारखंड में अब यह भी हो रहा है। बुधवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने राज्य के चार सरकारी दफ्तरों पर छापा क्या मारा, विपक्ष बिफर पड़ा है। भाजपा की ओर से इसे बदले की कार्रवाई बताया जा रहा है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। जो पार्टी सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के दावे करती थी, उसका यह रंग देखकर लोग दंग हैं। दरअसल यह भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। क्या है भाजपा की मंशा और वह इसमें कितनी सफल हो सकती है, इसका जायजा लेती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    बुधवार 26 फरवरी को राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सरकार के चार कार्यालयों पर छापा मारा और दिन भर वहां फाइलों को खंगाला। इन कार्यालयों में रांची और धनबाद नगर निगम के अलावा रांची का रजिस्ट्री आॅफिस और डोरंडा थाना शामिल थे। यहां एसीबी की अलग-अलग टीमों ने फाइलों और दस्तावेज खंगाले और अधिकारियों-कर्मचारियों से पूछताछ की। एसीबी की ओर से कहा गया कि इन कार्यालयों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के कारण आम लोगों को परेशानी होने की शिकायत मिली थी। इसके बाद सरकार के आदेश के आलोक में छापामारी की गयी। छापामारी न किसी अधिकारी के खिलाफ थी और न ही किसी कर्मचारी के खिलाफ। छापामारी में क्या हासिल हुआ, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी। लेकिन शाम होते-होते भाजपा की ओर से इस छापामारी का विरोध किया जाने लगा। भाजपा ने इस कार्रवाई को बदले की भावना की कार्रवाई करार दिया। इतना ही नहीं, रांची और धनबाद के मेयर ने एसीबी की कार्रवाई को नगर निगम की स्वायत्तता पर आघात करार दिया। भाजपा के प्रवक्ताओं, सांसद और अन्य नेताओं ने छापेमारी के खिलाफ आधिकारिक बयान जारी किया और कहा कि हेमंत सरकार बदले की कार्रवाई कर रही है।
    भाजपा का यह विरोध कहीं दरअसल हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी पूर्ण बहुमत की पहली गैर-भाजपा सरकार को घेरने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है।
    29 दिसंबर को कार्यभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं और इसकी तारीफ भी हो रही है। हालांकि वह कह चुके हैं कि उनकी सरकार बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करेगी, लेकिन गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने से भी नहीं हिचकेगी। उन्होंने घोटालों के आरोपी पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह को निलंबित कर ताकतवर इंजीनियर लॉबी को बता दिया है कि वह अपने संकल्प से पीछे नहीं हटनेवाले। इतना ही नहीं, उन्होंने आइएएस और आइपीएस अधिकारियों अनुराग गुप्ता और राहुल पुरवार के खिलाफ कार्रवाई के जरिये यह संदेश दिया है कि उनकी सरकार में गड़बड़ियों की कोई जगह नहीं है। बुधवार का छापा भी इसी संदेश का हिस्सा था।
    विरोध के पीछे की रणनीति
    राजनीति के जानकार मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में शिकस्त झेलने के बाद अब भाजपा ने सत्ता पक्ष को घेरने के लिए एक नयी रणनीति पर काम करना शुरू किया है। भाजपा चाहती है कि हेमंत सोरेन सरकार को पिछली सरकार के फैसलों की समीक्षा में उलझा कर रख दिया जाये, ताकि वह चुनाव में जनता से किये गये वादों पर काम शुरू ही नहीं कर सके। इतना ही नहीं, कार्यपालिका की सहानुभूति बटोर कर सरकार की ताकत को कम किया जाये। भाजपा की इसी रणनीति के तहत एसीबी की कार्रवाई का चौतरफा विरोध किया गया, जबकि यह कार्रवाई किसी के खिलाफ नहीं थी। रांची और धनबाद के मेयर ने जिस अंदाज में इस कार्रवाई का विरोध किया, उससे साफ हो जाता है कि इन्होंने एसीबी के छापे को अपने खिलाफ माना है।
    सवाल यह उठता है कि यदि सरकारी कार्यालयों में किसी दूसरी सरकारी एजेंसी ने तलाशी ली है, तो फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है। सवाल तो यह भी उठता है कि क्या रांची और धनबाद के मेयर यह मानते हैं कि उनकी नाक के नीचे गड़बड़ियां हो रही हैं, जिस पर पर्दा डालना जरूरी है या यह सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश है। छापेमारी का विरोध करनेवाले रांची और धनबाद के मेयर यह दावे के साथ कह सकते हैं कि वहां सरकारी कर्मचारी किसी काम के एवज में पैसे नहीं लेते। क्या जन्म प्रमाणपत्र बिना पैसे के मिल जाता है। पिछली सरकार के कार्यकाल में एसीबी की किसी भी कार्रवाई का विरोध नहीं हुआ और यह पहला मौका है, जब भय-भूख-भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीति करने का दावा करनेवाली भाजपा एसीबी की कार्रवाई को राजनीति के चश्मे से देखने लगी है।
    राजनीतिक रणनीति के जानकार कहते हैं कि भाजपा के सामने ऐसा करने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा है। झारखंड के आदिवासी इलाकों में उसका जनाधार बुरी तरह खिसका है। अल्पसंख्यक उससे पहले ही बिदके हुए हैं।
    भाजपा का सबसे मजबूत समर्थक, कारोबारी और गैर-आदिवासी वर्ग ने भी इस विधानसभा चुनाव में रघुवर दास की सरकार की कार्यप्रणाली से नाराजगी जतायी। यह भी सच है कि रघुवर दास सरकार में नौकरशाही का बड़ा वर्ग सरकार की कार्यशैली से नाराज था। भाजपा मानती है कि इसका सीधा असर चुनाव परिणाम पर पड़ा। इसलिए अब पार्टी ने इस वर्ग का समर्थन हासिल करने के लिए यह रणनीति बनायी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ हेमंत सोरेन सरकार के हल्ला बोल से नौकरशाही डरेगी और वह फैसला लेने से पीछे हटने लगेगी। इसका सीधा असर सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन पर पड़ेगा और जनता नाराज होने लगेगी। यानी भाजपा लंबी लकीर खींचने की बजाय सरकार की लकीर को छोटी करने की रणनीति पर काम करने लगी है।
    भाजपा की यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इतना तय है कि इससे सत्ता पक्ष को भले ही नुकसान हो, भाजपा की छवि भी बहुत नहीं चमक सकेगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का विरोध करने से जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है, लेकिन भाजपा शायद यह मानती है कि लंबी अवधि में इसका लाभ उसे मिलेगा। जो भी हो, झारखंड जैसे राज्य के लिए यह रणनीति बहुत मुफीद नहीं होगी, क्योंकि यह राज्य भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के लिए पहले ही बहुत बदनाम हो चुका है। 20 में से साढ़े 16 साल सत्ता में रहनेवाली भाजपा को इस तथ्य से आंखें नहीं बंद करनी चाहिए। उम्मीद तो यह की जानी चाहिए कि भाजपा के शासनकाल में अगर भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, तो उसे दो कदम आगे बढ़ कर भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाये जा रहे कदम का स्वागत करना चाहिए।

    What is the merge of those who are suffering from action on corruption?
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleस्पीकर की सर्वदलीय बैठक से अलग रही भाजपा
    Next Article लालू यादव का रांची में ही चलेगा इलाज
    azad sipahi desk

      Related Posts

      फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग

      June 18, 2025

      पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत

      June 18, 2025

      झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को

      June 18, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग
      • पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
      • झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रशिक्षु अधिकारियों की शिष्टाचार भेंट
      • हिमाचल के लिए केंद्र से 2006 करोड़ रुपये की मंजूरी, जेपी नड्डा ने जताया आभार
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version