पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से सीआईडी ने बीजेपी नेता जूही चौधरी को चाइल्ड ट्रैफिकिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। जूही को मंगलवार रात दार्जिलिंग जिले के भारत-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में जब सीआईडी ने जूही को जलपाईगुडी की अदालत में पेश किया तो उसे 12 दिनों की रिमांग पर भेज दिया है। वहीं बीजेपी ने जूही चौधरी को पार्टी से निकाल दिया है। जूही बीजेपी में महिला मार्चा की महासचिव थी।
सीआईडी सूत्रों के अनुसार, इस चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट के जरिए दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को बेच चुका है। इस रैकेट ने इन बच्चों को भारत में विभिन्न हिस्सों, अमेरिका और फ्रांस बेचा गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गैर सरकारी संगठन शिशुओं और बच्चों की एक कीमत तय करता था और गोद लेने के नियमों की अनदेखी कर उन्हें बेच देता था।
सीआईडी अधिकारी अजय प्रसाद ने बताया कि जूही चौधरी पर 17 बच्चों की तस्करी का आरोप है और पुलिस को उनकी कई दिनों से तलाश थी। अब जूही को बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। वहीं इस मामले में कुछ और लोगों के भी नाम सामने आए हैं। लेकिन अभी तक उन नामों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए उनके नाम का खुलासा नहीं किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, बच्चों के अवैध व्यापार के मामले में चौधरी के साथ कुल चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है। पिछले कुछ महीनों में एक गैर सरकारी संगठन बिमला शिशु गृह से बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया। इसमें भारत के बाहर विदेशी दंपत्तियों के साथ अवैध रूप से बच्चों का व्यापार करने की बात कही जा रही है। इस अवैध व्यापार में कथित संलिप्तता को लेकर यह गिरफ्तारियां हुई हैं।
कैसे हुआ इस रैकेट का खुलासा
पिछले साल नवंबर में सीआईडी ने एक अंतरराज्यीय बेबी टैफिकिंग रैकेट का भंडाफोड किया था। इसके बाद कोलकत्ता और नार्थ 24 परगना जिले में कई जगह छापेमारी की। इस दौरान 13 शिशुओं को छुडवाया गया और डॉक्टर, दलाल और नर्सिंग होम के स्टॉफ समेत 20 लोगों को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पता चला कि बंगाल के चार जिलों के कई नर्सिंग होम, अस्पताल और एनजीओ इससे जुड़े हुए हैं जो बच्चों को देश के दूसरे भागों में बेचते हैं।
फरवरी में इस साल सीआईडी ने दो डॉक्टरों और बीजेपी के एक नेता समेत 19 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है।
बच्चों की कीमत
पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि सांवले रंग की लड़की को 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये में और गोरे रंग की बच्चियों को डेढ़ लाख रुपये में बेचा जाता था। वहीं अगर शिशु लड़का है तो उसे दो लाख या उससे ज्यादा कीमत में बेचा जाता था।