2016 में जहां आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर झुलस रहा था। पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा हर रोज कश्मीर बंद बुलाया जा रहा था। जब इस अलगाववादी आंदोलन के दौरान कई नौजवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उस वक्त पीडीपी-बीजेपी की सरकार के शासन में पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी के पोते को नियमों को ताक पर रखकर सरकारी नौकरी दे रही थी।
अंग्रेजी समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गिलानी के पोते अनीस-उल-इस्लाम को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (SKICC) में बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया गया है।
खबर है कि इस नियुक्ति में राज्य सरकार द्वारा कई नियमों का उल्लंघन किया गया है।
अनीस को मिली नौकरी में उन्हें करीब 1 लाख रुपए की सैलरी मिलेगी। साथ ही पेंशन की सुविधा भी।
(SKICC) जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग का हिस्सा है, जो कि सीधा मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के अधीन है। समाचार पत्र ने अपने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि महबूबा मुफ्ती ने इस पद पर भर्ती के लिए जम्मू-कश्मीर स्टेट सबऑर्डिनेट सर्विस रिक्रूटमेंट बोर्ड या राज्य लोक सेवा आयोग की सेवाएं नहीं ली।
आपको बता दें कि रिसर्च ऑफिसर के पद की नियुक्ति के लिए ये कानूनी प्रावधान है कि ये ही दो संस्थाएं इस पद पर नियुक्ति करती हैं लेकिन अनीस की नियुक्ति इन नियमों के द्वारा नहीं हुई।
SKICC के एक अधिकारी ने TOI को बताया कि पर्यटन सचिव फारुक शाह ने गिलानी के पोते को पहले ही चुन लिया था। वो नियुक्ति के लिए बनी सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे। विभाग ने ऐसे वक्त गिलानी को नौकरी देने का निर्णय किया जब वादी बंद, विरोध और हिंसा की आग से झुलस रही थी।
हालांकि, इस पूरे मामले में पर्यटन सचिव फारूख शाह ने कहा है कि अनीस को नियमों के अनुसार ही इस पद के लिए चुना गया। उन्होंने कहाः
“हमने आवेदन आमंत्रित किए थे जिसमें अनीस को इस पोस्ट के लिए उपयुक्त पाया गया।”
अब भी अनीस का CID वैरिफिकेशन बाकी है, जिस कारण उसे सैलरी नहीं मिल रही है। उसे यह सैलरी वैरिफिकेशन पूरी हो जाने के बाद ही मिल सकेगी।