“क्रिकेटर एमएस धोनी के आधार कार्ड के विवरण के सार्वजनिक होने के मामले को गंभीरता से लेते हुये भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण :यूआईडीएआई: ने उस संस्था को 10 साल के लिये ब्लैक लिस्ट कर दिया है जिसने क्रिकेटर का कार्ड बनाया था।”

यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने पीटीआई-भाषा को बताया, हमनें एम एस धोनी की जानकारी लेने वाली वीएलई :ग्राम स्तरीय उद्यमी: को उस आधार रसीद को लीक करने पर ब्लैक लिस्ट कर दिया है जिसमें उनकी निजी जानकारी थी। यूआईडीएआई में हम निजता के मामले में बेहद सख्त हैं। हमने इस मामले में आगे जांच के आदेश दिये हैं और जानकारी को लीक करने में जो भी शामिल होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

उन्होंने कहा कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी जो सरकारी सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिये रसीद की तस्वीर ट्वीट करने में शामिल थे।

यूआईडीएआई ने यह कार्रवाई धोनी की पत्नी साक्षी द्वारा यह मामला उठाने और कानून एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद से शिकायत के बाद की। प्रसाद ने इस मामले में कार्रवाई का भरोसा दिया था।

एजेंसी के कॉमन सर्विस सेंटर :सीएससी: ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा था, क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी और उनके परिवार ने वीएलई मारिया फारूकी के सीएसई रांची, झारखंड के केन्द्र से अपना आधार कार्ड अपडेट कराया।

इस ट्वीट में प्रसाद को भी टैग किया गया था। ट्वीट में सीएसई प्रतिनिधि के साथ क्रिकेटर का एक फोटो भी शेयर किया गया था। यही नहीं, एक अन्य तस्वीर में क्रिकेटर की निजी जानकारियां भी थीं। बाद में इस ट्वीट को हटा लिया गया।

धोनी की पत्नी साक्षी ने इस बारे में ट्वीट किया था, क्या कुछ निजता बची हुई है? आधार कार्ड की जानकारी और आवेदन समेत सबको सार्वजनिक संपत्ति बना दिया गया है।

मंत्री ने साक्षी को इस मुद्दे को संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, निजी जानकारी साझा करना गैरकानूनी है। कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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