रांची : रांची नगर निगम की ओर से नया सर्कुलर जारी होने के बाद होल्डिंग टैक्स की वसूली जोरों पर है. होल्डिंग टैक्स वसूली का जिम्मा स्पाइरो कंपनी के पास है. कंपनी को अलग-अलग स्लैब में इस वसूली के लिए नगर निगम कमीशन देती है. यह कमीशन औसत 16 फीसदी है. होल्डिंग टैक्स वसूली का रांची नगर निगम का अनुमार 40 करोड़ रुपये है. इसमें से 6 करोड़ 40 लाख रुपये वसूली करने वाली कंपनी को दे दिया जाता है. केवल पैसा वसूलने के लिए किसी भी कंपनी को दिया जाने वाला यह सर्वाधिक कमीशन है. बिजली बिल वसूलने वाली कंपनी को करीब 6 फीसदी कमीशन दिया जाता है. रेलवे टिकट पर एक फीसदी, मोबाइल रिचार्ज पर 3 फीसदी, पेट्रोलियम पर 8 फीसदी (विभिन्न स्रोतों से बातचीत पर आधारित आंकड़ा) कमीशन है.
हालांकि कंपनी ने वसूली का काम टेंडर के माध्यम से लिया है. यह टेंडर 2014 में निकाला गया था. टेंडर में अन्य कंपनियों की अपेक्षा स्वाइरो का रेट कम था. इसलिए टैक्स वसूली का काम स्पाइरो कंपनी को दिया गया.
पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां कोलकाता में नगर पालिका होल्डिंग टैक्स स्वयं वसूलता है. वहां वसूली का जिम्मा किसी भी कंपनी को नहीं दिया गया है. जो भी वसूली होती है उसपर पूरा अधिकार नगर निगम का होता है. कोलकाता महानगर की श्रेणी में आता है. उसी प्रकार पड़ोसी राज्य बिहार में भी नगर निगम स्वयं होल्डिंग टैक्स वसूली का काम करता है. हालांकि यहां भी आउटसोर्सिंग के लिए किसी कंपनी की तलाश की जा रही है. अभीतक यह निर्णय नहीं हुआ है कि आउटसोर्सिंग के लिए निगम टेंडर निकालेगा या कोई और विकल्प तलाशा जायेगा. वहीं देश के बाकी महानगरों, दिल्ली और मुंबई की बात करें तो वहां भी होल्डिंग टैक्स वसूली करने वाली कंपनी को 10 फीसदी से कम ही कमीशन दिया जाता है.
इस संबंध में रांची नगर निगम के सहायक प्रशासनिक अधिकारी रामकृष्ण कुमार ने प्रभात खबर डॉट कॉम से लंबी बातचीत की. रामकृष्ण कुमार के अनुसार रांची नगर निगम की ओर से जो कंपनी होल्डिंग टैक्स वसूलती है, उसने 2014 में ही टेंडर हासिल किया था. उसके टेंडर की अवधि मई 2017 में समाप्त होने वाली है. उसके बाद नगर निगम पुन: टेंडर निकालेगी. उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती गयी थी. उसके बाद सबसे कम कमीशन रेट पर टेंडर डालने वाली कंपनी को टेंडर दिया गया.
रामकृष्ण कुमार ने कहा कि आने वाले समय में प्रतियोगिता बढ़ेगी तो इस काम के लिए कई कंपनियां सामनें आयेंगी. ऐसे में कमीशन का दर कम हो सकता है. लेकिन यह पूर्वानुमान गलत भी हो सकता है. अगर टेंडर में कम कमीशन रेट पर कोई कंपनी काम करने के लिए तैयार होगी तो उसे ही टेंडर मिलेगा. उन्होंने कहा कि वर्त्तमान समय में रांची नगर निगम डिजिटल हो चुका है. आने वाले दिनों में इसका फायदा भी होगा. लोग जागरुक हो जायेंगे तो टैक्स वसूली के लिए किसी को आउटसोर्स की जरुरत नहीं पड़ेगी. लोग खुद ही अपना टैक्स, निगम कार्यालय में जमा करा देंगे.
उदासीनता का परिणाम भुगतते हैं आम लोग
बुटी मोड़ निवासी संतोष सहाय ने प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ बातचीत करते हुए बताया कि पिछले पांच सालों से उनके पास कोई भी व्यक्ति होल्डिंग टैक्स लेने नहीं आया. वहीं अब उन्होंने एकमुश्त पांच सालों का होल्डिंग टैक्स देना पड़ा. उसी प्रकार दीपाटोली, बांधगाड़ी के न्यू नगर निवासी अमीर सिंह का कहना है कि वे इस जगह पर पिछले कई सालों से रह रहे हैं. उन्होंने अपना होल्डिंग टैक्स इस साल भरा है. उनका कहना है कि निगम की ओर से जिस कंपनी को टैक्स वसूली का जिम्मा सौंपा गया है, उस कंपनी के कर्मी टैक्स वसूलने नहीं आते हैं. कंपनी का नाम लेकर कुछ दलाल आते हैं और ज्यादा पैसों की मांग करते हैं. इस संबंध में वार्ड पार्षद से शिकायत भी की गयी है. ऐसी शिकायतें कई जगहों से मिली है.
फरवरी तक 27 करोड़ 84 लाख की वसूली, अनुमान 40 करोड़
निगम के अधिकारी रामकृष्ण कुमार ने कहा कि इस साल के फरवरी माह तक 27 करोड़, 84 लाख की वसूली की गयी है. 1,20,967 लोगों ने अबतक अपना होल्डिंग टैक्स जमा कराया है. करीब 1.5 करोड़ लोगों के पास होल्डिंग नंबर है. अनुमान है कि मार्च 2017 तक 40 करोड़ रुपये की वसूली होगी. निगम के नये सर्कुलर पर नजर डाले तो इससे पहले जहां पूरी रांची में एक ही प्रकार का होल्डिंग टैक्स वसूली जाती थी, वहीं अब सड़कों की चौड़ाई के हिसाब से टैक्स को तीन ग्रेड में बांट दिया गया है. 40 फिट और उससे अधिक चौड़ी सड़क के किनारे बने मकानों के लिए होल्डिंग टैक्स ग्रेड वन के तहत वसूली जायेगी. वहीं 40 फिट से 20 फिट चौड़ाई वाली सड़क के किनारे के मकानों को ग्रेड टू में रखा गया है. इनसे ग्रेड वन की तुलना में कम टैक्स वसूली जायेगी. जबकि 20 फिट से कम चौड़ी सड़क के किनारे बने मकानों को ग्रेड थ्री में रखा गया है. ऐसे लोगों से सबसे कम दर पर टैक्स की वसूली होती है.