Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, May 21
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»रांची»मांदर की थाप पर थिरकी रांची
    रांची

    मांदर की थाप पर थिरकी रांची

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीMarch 31, 2017No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची: महापर्व सरहुल के दिन गुरुवार को सरना माई ऐसी हुलसी कि शहरी संस्कृति की सारी आधुनिकता वनवासी हो गयी। कानों में साल के फूलों की छुअन भर से ही सब पलाश हो गये। उल्लास का यह महा रास प्रकृति महामाया के साथ थिरका, झूमा और मदमस्त हुआ। देह और सांसों में केवल सरना मां के नेह ने ही किलकारी भरी। छोटानागपुर के केंद्र बिंदु रांची के शहरी इलाकों में कई दिनों से सरहुल की तैयारियां चल रही थीं। बच्चे, युवा और बड़े, बूढ़ों में इसको लेकर एक आत्मिक प्रतीक्षा थी। सूरज भगवान और धरती के प्रणय में ही जीवन तत्व विकसित होते हैं। वायु, जल, अग्नि समेत समस्त आदि शक्तियों के अंतरंग मिलन में ही सारी प्रकृति हरियाती है। यह सब सरना मां के हुलास के बिना संभव नहीं है। इसीलिए घरों से बाहर निकल कर प्रकृति के साथ एकाकार होने का क्षण सरहुल अपने आप में बेजोड़ दिखा। गांव और मोहल्लों में सरना पूजन स्थलों में तैयारियां हुईं और उपवास रखे गये। मांदर की थाप और नगाड़ों की धमक ने कुछ भी स्थिर नहीं रहा। रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजे-धजे युवा, बच्चे, बूढ़े और महिलाओं का अगाध समुद्र अनुशासित होकर शहर भीतर से गुजरा और अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा। उल्लास में थिरकते लोग इस तरह जुड़े कि निजता के सारे अर्थ समाप्त हो गये। शेष रहा तो सरहुल के महारूप का आह्लाद इस में सारी किवदंतियां, लोक कथाएं, परंपराएं उल्लास में डूबी रहीं। दोपहर ढलते ही समूह में निकले लोग सड़कों पर फसलों की तरह लहलहाये। सड़कों पर तिल धरने की जगह नहीं थी। हर तरफ सिर्फ झूमना और थिरकना था। नृत्य में शास्त्रीयता नहीं थी, लेकिन भीतर की तरंग का बहाव भरपूर था। यही लोक संस्कृति की खासियत है। हाथों में हाथ थामे झूमते लोग किसी प्रैक्टिस के मोहताज नहीं थे। इस मस्ती में कई दिनों से हड़ियावाले चावलों के पानी ने भी करामात दिखाया। इसने बड़ों के शाम वाले शगल को भी पीछे कर दिया। शहर के केंद्र बिंदु अलबर्ट एक्का चौक, रातू रोड, बरियातू, मेन रोड, मोरहाबादी आदि सड़कों से बाहर आने वाले लोगों ने जम कर सरहुल का जश्न मनाया और सरना माई की अगवानी की। शोभायात्रा बहुबाजार सिरम टोली स्थित पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना कर लौट जा रही थी।
    …और पूरा शहर सरहुलमय हो गया
    अल्बर्ट एक्का चौक से मेन रोड बहुबाजार समेत पूरा शहर सरहुलमय हो गया। ऐसा लग रहा था कि नागपुरी गीत की धुन पर नृत्य के साथ पूरा आदिवासी समुदाय सड़क पर उत्तर आया हो। सरहुल महोत्सव में आदिवासी कला संस्कृति और प्रकृति प्रेम का अनूठा समागम देखने को मिला। सरना समिति के पहली झांकी साढ़े तीन बजे अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची थी। इसके बाद झांकियों का सिलसिला जारी हो गया था, जो रात आठ बजे तक जारी रहा।
    स्वागत के लिए भी उठे हाथ
    अल्बर्ट एक्का चौक पर चडरी सरना समिति ने शिविर लगाकर सरना समिति के पाहनों को माला पहना कर स्वागत कर रहे थे। अतिथियों को भी मंच पर बुलाकर स्वागत कर रहे थे। खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष संजय सेठ, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, महावीर मंडल के राजीव रंजन मिश्रा समेत अन्य अतिथियों का स्वागत कर किया गया। वहीं इसके ठीक सटे आदिवासी जन परिषद के सदस्यों ने भी शिविर लगाकर सरना समितियों का स्वागत कर रहे थे।
    आकर्षक की केंद्र रही झांकियां
    शोभायात्रा में आकर्षक झांकियां भी शामिल थीं। उड़ी हमला को झांकी के माध्यम से दिखाया गया था। अमर शहीद संकल्प शुक्ला की तस्वीर भी टंगी थी। कई झांकियों में नगाड़ा, मांदर के साथ पुरूष, धान रोपती महिलाएं झांकी के माध्यम से दिखाया गया था। लोहरा समाज का सबसे बड़ी शोभा यात्रा थी। इसमें काफी संख्या में युवक युवतियां नृत्य करते शामिल थे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपारसनाथ में नक्सलियों का बंकर ध्वस्त
    Next Article झामुमो गलत हथकंडा अपना रहा,चुनाव आयोग से होगी शिकायत : रघुवर दास
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    शराब घोटाले में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे व संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह अरेस्ट

    May 20, 2025

    आदिवासी विरोधी सरकार की टीएससी बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं : बाबूलाल मरांडी

    May 20, 2025

    जेपीएससी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए इंटरव्यू 22 से

    May 20, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • शराब घोटाले में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे व संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह अरेस्ट
    • आदिवासी विरोधी सरकार की टीएससी बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं : बाबूलाल मरांडी
    • जेपीएससी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए इंटरव्यू 22 से
    • नये खेल प्रशिक्षकों की बहाली प्रक्रिया जल्द, प्राथमिक सूची तैयार
    • यूपीए सरकार ने 2014 में सरना धर्म कोड को किया था खारिज : प्रतुल शाह देव
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version