रांची: श्रीगुरुनानक सत्संग सभा के सचिव रामकृष्ण मिढा ने कहा कि बिरला मैदान की घटना से काफी आहत हूं। यह सोची-समझी साजिश का नतीजा है। यदि 24 घंटे के अंदर दोषियों की गिरफ्तारी नहीं की जाती है, तो सभा क्रमबद्ध आंदोलन करेगा। मिढा बुधवार को प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि स्थानीय थाना सहित उपायुक्त और वरीय पुलिस अधीक्षक समेत जिला प्रशासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को कारसेवा के बारे में पहले से ही जानकारी दी गयी थी, बावजूद इसके सुरक्षा के लिहाज से कोई इंतजाम नहीं किये गये। इसका खामियाजा आम श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ा। पत्थरबाजी से 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बनी हुई है। दो का इलाज गुरुनानक अस्पताल के आइसीयू में चल रहा है और तीसरा सेवा सदन में भर्ती है। उन्होंने कहा कि किसी की जमीन पर झंडा गाड़ देने और बवाल करने से जमीन उसकी नहीं हो जाती। हम गुरु घर के सेवक हैं और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहते हैं। पिछले 40 वर्षों से इस मैदान में गुरुपर्व होता आ रहा है। हर साल मेडिकल कैंप लगते हैं। अर्थाभाव के कारण अभी तक चहारदीवारी नहीं बनायी जा सकी थी। प्रस्तावित स्कूल के लिए फंड जमा होने के बाद पहले चरण में चाहरदीवारी की जानी थी। उन्होंने कहा कि स्कूल बनने से मैदान संवर जायेगा। लोग यहां अच्छे से भ्रमण कर सकते हैं और बच्चे खेल-कूद भी सकते हैं। श्रीगुरु सिंह सभा रांची के प्रधान सरदार कुलदीप सिंह, महासचिव किरपाल सिंह, सभा के प्रधान जयराम दास मिढ़ा, अर्जुनदास मिढा इस मौके पर उपस्थित थे।
अस्पताल नहीं, स्कूल बनाने की है योजना
रामकृष्ण मिढा ने बताया कि बिरला मैदान में स्कूल बनाने की योजना है। हॉस्पिटल बनाने की योजना 10-12 वर्ष पहले ही रद्द कर दिया गया था। इस समस्या को देखते हुए अस्पताल बनाने की योजना रद्द कर दी गयी थी। रामकृष्ण मिढा ने जमीन से संबंधित कागजात देने के साथ बताया कि 1974 में सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के हेसल गांव के प्लाट खाता संख्या 122 खेवट नंबर 04 के 273 कट्ठा 10 छटाक का भूखंड खरीदा गया था। जमीन का 1974 में एग्रीमेंट और 1995 में रजिस्ट्री गुरु नानक सत्संग सभा की उप समिति बिशनी नारायण ट्रस्ट के नाम से हुई थी। अंचल कार्यालय रांची द्वारा 2012 में म्यूटेशन किये जाने के बाद से लगातार टैक्स भरा जा रहा है।
लोगों को किया जा रहा है गुमराह
रामकृष्ण मिढा ने बताया कि वर्षों से खाली पड़े भूखंड को हड़पने के लिए दारोगा सिंह लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने सोची-समझी साजिश के तहत सरना समिति के लोगों को भड़का कर अपना उल्लू-सीधा करने का प्रयास किया। बिड़ला मैदान बचाओ संघर्ष समिति बना कर उच्च न्यायालय में पीआइएल लगा दी, जिसे 2016 में उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। मामला अदालत में होने के कारण हम लोग चुप थे। अब जब फैसला हमारे पक्ष में आ चुका है, तो चाहरदीवारी बनाने के लिए कार सेवा की जानी थी, जिसे उपद्रव मचा कर स्थगित करा दिया है।