रामगढ़: शहर के पतरातू बस्ती अनुमंडल कार्यालय के निकट स्थित बुढ़ी जेहरा सरना स्थल पर सोमवार को सरहुल पूजा करने को लेकर आदिवासी समाज के लोग दो भागों में बंट गये। जिसके कारण सरना स्थल के निकट काफी तनाव का माहौल बन गया। पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। एसडीओ, एसडीपीओ, थाना प्रभारी सहित कई अधिकारी वहां पहुुंच गये। एक पक्ष सरना स्थल पर सोमवार को पूजा करना चाह रहा था। वहीं दूसरा पक्ष वहां पूजा नहीं करने देने की बात कह तनाव को बढ़ा दिया। पतरातू बस्ती व मुंडा टोली के लोग अनुमंडल कार्यालय के पीछे बुढ़ी जेहरा सरना स्थल पर पूजा को लेकर आमने सामने हो गये, इसको लेकर प्रशासन के द्वारा उक्त स्थल को छावनी में तब्दील कर दिया गया। वहीं समाज के दोनों पक्षों के पांच पांच लोगों को बीडीओ चैंबर में बुलाया गया।
एसडीओ ने की बैठक
रामगढ़ बीडीओ के कार्यालय कक्ष में प्रशासन के समक्ष दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बातों को रखा। समाज के दूसरे पक्ष ने बात रखा कि सरना स्थल किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है और इस पर समाज के सभी लोगों वह पूजा के लिये जा सकते हैं। कहा कि पतरातू बस्ती निवासी सुनील मुंडा की हत्या के बाद बुढ़ी जेहरा सरना स्थल पर पहले जैसा पूजा नहीं हो रहा है । लेकिन हम सभी हर साल मौन जुलूस निकाल कर सरना स्थल पहुंचकर उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते आ रहे हैं जिससे हमें कोई रोक नहीं सकता। वहीं पहले पक्ष ने बात रखा कि हम पतरातू बस्ती व मुंडा टोली के पाहन के द्वारा पूजा होते आ रहा है। बेवजह विवाद बढ़ाया जा रहा है । दोनों पक्षों का मामला सुनने के बाद एसडीओ अनंत कुमार, एसडीपीओ निधि द्विवेदी, मुख्यालय डीएसपी डॉ विरेंद्र चौधरी व थाना प्रभारी कमलेश पासवान ने कहा कि सरना स्थल की बिक्री की अनुमति किसी को नहीं दी जायेगी। साथ ही आप लोग 9 अप्रैल को सौहार्द्र के साथ पूजा करें। जिसके बाद दूसरे पक्ष के लोगों ने प्रशासन से मांग किया कि सरना स्थल पर दो लोगों को पूजा करने इजाजत दी जाये। जिस पर पहले पक्ष आपत्ति किया। फिर मामला बढ़ता देख प्रशासन ने मामले को शांत कराया और पहले पक्ष से कहा कि सिर्फ दो लोगों पूजा करने के लिये भेजा जाये। जिस पर सहमति बनने के बाद प्रशासन के साथ दो महिलाएं सरना स्थल पूजा के लिए गयीं।
वार्ता में ये हुए शामिल
पहले पक्ष के संजीत नायक, जगरनाथ मुंडा, गणेश पाहन, किशोर मुंडा व भुनेश्वर मुंडा व दूसरे पक्ष के जगरनाथ बेदिया, शंभू करमाली, संजय करमाली, छोटेलाल करमाली, सदन देवी व पंचदेव करमाली शामिल थे।