रांची: सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा तीन कोल कंपनियों से संबंधित जब्त दस्तावेजों को खंगाल रही है। विदित है कि बीते शुक्रवार को सीसीएल के सेवानिवृत्त जनरल मैनेजर (सेल्स एंड मार्केटिंग) राजीव गुप्ता के घर पर छापा मारने के साथ-साथ तीन कंपनियों के कार्यालय मेसर्स आधुनिक अलॉयज एंड पावर लिमिटेड, रूंगटा माइंस लिमिटेड और जय बालाजी इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई कोयला लिंकेज घोटाले के संबंध में की गयी है। सीबीआइ अब जब्त कागजातों की जांच में जुट गयी है।
सीसीएल को हुआ 25 करोड़ का नुकसान
छापेमारी के बाद आइपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) और 13 (1) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है। मामले में रश्मिरथी अपार्टमेंट में छापे के दौरान सीबीआइ ने इन कंपनियों से जुड़े सीसीएल के आधिकारिक दस्तावेज जब्त किये हैं। साथ ही दो दर्जन से अधिक बैंक पासबुक और संपत्ति के विवरण भी खंगाले जा रहे हैं। राजीव की इन कंपनियों के साथ एक षड्यंत्र से सीसीएल को लगभग 25 करोड़ का नुकसान हुआ। राजीव पिछले साल सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन उनके निवास पर इन कंपनियों के साथ समझौते के दस्तावेजों को अवैध रूप से रखा गया था।
चल-अचल संपत्ति की जांच शुरू
सीबीआइ के मुताबिक चल और अचल संपत्तियों के दस्तावेजों का पता लगाया गया है जिसकी जांच की जा रही है। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन तीनों कंपनियों को औद्योगिक उद्देश्यों के लिए झारखंड में कोयला खदान आवंटित किये गये थे। जब भी किसी कंपनी को कोयला खानों को आवंटित किया जाता है, तब दिशा निर्देश के तहत संबंधित कंपनी को कुछ समय के तहत कोयला खदानों को विकसित और संचालित करना होता है।
कोल आवंटन नियमावली का उल्लंघन किया गया
जनवरी 2006 में स्पॉन्ज आयरन परियोजना के लिए आधुनिक अलॉयज एंड पावर लिमिटेड को उत्तरी कर्णपुरा कोयला क्षेत्र में उत्तर दादू के तहत कोयला खदानों को आवंटित किया गया था। अप्रैल 2006 में स्पंज लोहे परियोजना के लिए रुंगटा माइंस लिमिटेड को बुंदू में कोयले की खानों को आवंटित किया गया था जबकि जय बालाजी इंडस्ट्रीज लिमिटेड को स्पंज आयरन परियोजना के लिए रोहने में कोयला खदानों को जून 2008 में दिया गया था। ऐसे मानक समय के लिए जब कोयला खदानों को अपनी सहायक इकाइयों के माध्यम से विकसित और कार्यान्वित किया जाना है, तो ऐसी कंपनियों को ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) में वर्णित दिशा निदेर्शों के अनुसार सब्सिडी दर पर कोयला दिया जाता है। लेकिन एक बार प्रामाणिक अवधि समाप्त हो जाने पर सहायक सहायता नहीं दी जाती है।
जानकारी छुपाकर दी अनुमति
इसकी बजाय उन्हें अतिरिक्त शुल्क लगाया जायेगा, जो कीमतों में 20 से 40 प्रतिशत के बीच हो सकता है। इन तीन कंपनियों ने सीसीएल के साथ एफएसए पर हस्ताक्षर किये थे। लेकिन मानक अवधि खत्म हो जाने के बाद भी उनकी सहायक सुविधाएं जारी रखी गयी थी। दस्तावेजी प्रमाण स्पष्ट करते हैं कि आरोपी राजीव गुप्ता को इस बारे में पता था और उन्होंने जानबूझकर सीसीएल कोयला खदानों से इन कंपनियों को सब्सिडी दर पर कोयले की आपूर्ति की अनुमति दी थी।