पटना: बिहार में शराबबंदी को बुधवार को एक साल पूरा हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले वर्ष 5 अप्रैल को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी। इस एक वर्ष के दौरान बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद कानून 2016 के उल्लंघन के आरोप में अब तक 45 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि आठ लाख लीटर से ज्यादा अवैध शराब जब्त की गई है। बिहार में शराबबंदी के बड़े फैसले की कई लोगों ने तारीफ की तो कई इस फैसले के विरोध में भी नजर आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब शराबबंदी को पूरे देश में लागू कराने की मांग कर रहे हैं।
बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में पूर्ण शराबबंदी के एक साल के भीतर 5,14,639 लीटर विदेशी शराब (अंग्रेजी), 3,10,292 लीटर देसी शराब और 11,371 लीटर बीयर जब्त की गई।
इस दौरान बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद कानून 2016 का उल्लंघन करने के आरोप में कुल 44,594 लोग गिरफ्तार किए गए।
बिहार में पूर्ण शराबबंदी अभियान को सफल बनाने के लिए पुलिस एवं मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग द्वारा 2,16,595 छापेमारी की गई और 40,078 मामले दर्ज किए गए।
मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष के दौरान एक और दो अप्रैल को राज्य में अवैध शराब के खिलाफ 2,127 छापेमारी की और मद्य निषेध एवं उत्पाद कानून 2016 का उल्लंघन करने वाले 439 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिससे गिरफ्तार लोगों का आंकड़ा 45 हजार से अधिक हो चुका है।
इन दो दिनों में 10, 719 लीटर विदेशी शराब एवं 2,823 लीटर देसी शराब जब्त की गई। राज्य सरकार का दावा है कि शराबबंदी से समाज बदला है। महिलाओं में खुशहाली आई है। मुख्यमंत्री का दावा है कि बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध की घटनाओं में कमी आई है।
शराबबंदी के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद राज्य पुलिस के लिए अवैध शराब तस्करी एक चुनौती बनी हुई है। शराब तस्कर रोज नए-नए तरीके अपनाकर राज्य में चोरी-छिपे शराब की तस्करी कर रहे हैं।
छापेमारी में कई जगह मिट्टी में दबाकर रखी गई शराब की बोतलें मिली हैं तो कहीं तालाबों तथा कुओं के भीतर से शराब की बोतलें बरामद हो रही हैं। तस्करों द्वारा वाहनों में अलग-अलग बॉक्स बनाकर उसमें शराब रख तस्करी की जा रही है। बिहार में पूर्ण शराबबंदी 5 अप्रैल, 2016 को लागू हुई थी और संशोधित नया कानून 2 अक्टूबर, 2016 को लागू हुआ था।