“तेल, साबुन जैसे रोजमर्रा के उत्पादों से जुड़ा एफएमसीजी उद्योग भारत में सबसे ज्यादा वेतन देने वाला उद्योग बनकर उभरा है। इस उद्योग में सभी स्तरों और कामकाज को मिलाकर कंपनियों की औसत सालाना लागत 11.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।”
एफएमसीजी उद्योग में बिक्री, विपणन और आपूर्ति श्रंखला में भूमिका निभाने के लिये योग्य व्यक्तियों की मांग काफी बढ़ी है। इसमें 30 प्रतिशत से अधिक रोजगारों को 10 लाख से ऊपर की श्रेणी में रखा गया है। एफएमसीजी के बाद बिजली और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का स्थान रहा है। इन क्षेत्रों में कंपनियों के विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों का सालाना वेतन क्रमश: 9.8 लाख रुपये और 9.3 लाख रुपये रहा है।
वर्ष 2017 के दौरान वेतन रख पर किये गये अध्ययन को यहां रैंडस्टैड ने जारी किया।
औषधि और स्वास्थ्य देखभाल उद्योग में सालाना औसत कंपनी को पड़ने वाली लागत 8.8 लाख रुपये, दूरसंचार क्षेत्र में 8.7 लाख रुपये रही है और इस लिहाज से यह चौथे और पांचवें स्थान पर रहा। यह क्षेत्र भारत के सबसे आकर्षक उद्योगों में रहा।
रैंडस्टैड इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ मूर्ति के उप्पालुरी ने कहा, आज नियोक्ता इस बात को समझते हैं कि बेहतर प्रतिभाओं को आकर्षित करने अथवा अपने साथ जोड़े रखने के लिये सही वेतन ढांचा सबसे महत्वपूर्ण है।
यही वजह है कि मौजूदा वेतन रुख के बारे में जानकारी रखने और उसका नजदीकी से विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है, इसके बाद जहां कहीं जरूरी हो उसमें सुधार लाया जाना चाहिये।