रांची: श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट की बेशकीमती जमीन की बिक्री मामले में अतिश कुमार सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई। कोर्ट ने मामले में श्रीराम जानकी मंदिर ट्रस्ट को निर्देश दिया कि वह वर्ष 1948 की ट्रस्ट डीड की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत करे। इस डीड से कोर्ट जानना चाहती है, यह जमीन ट्रस्ट की है या लोगों ने भगवान को दी है। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीके मोहंती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
प्रार्थी के अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने कोर्ट को बताया कि लोगों ने भगवान को जमीन दी है, लेकिन वर्ष 2005 में नया ट्रस्ट बना। इस ट्रस्ट डीड में जमीन को बचने की सीधी बात नहीं कही है, बल्कि ट्रस्ट की जमीन को कन्वर्जन पर दिये जाने की बात जोड़ी है। भगवान को दी गयी जमीन को बेचा नहीं जा सकता है। भगवान के कार्य के लिए इस जमीन का उपयोग किया जा सकता है।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में गड़बड़ी पाये जाने पर आपराधिक मामले भी चलाये जा सकते हंै। श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ट्रस्ट पर जमीन बेचने का आरोप निराधार है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की गयी है। ट्रस्ट के नियमानुसार जमीन हस्तांतरित की गयी है।
बता दें कि प्रार्थी अतिश कुमार सिंह ने कहा है कि ट्रस्ट की निवारणपुर, रातू रोड, मोरहाबादी सहित अन्य जगहों पर जमीन है। इन जमीनों को ट्रस्ट बेच रहा है, जो नियमसंगत नहीं है। प्रार्थी अतिश कुमार सिंह ने अदालत से इसकी सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया है।
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