नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को न्यायपालिका में डिजिटल युग की शुरुआत करते हुए सुप्रीम कोर्ट को कागजरहित बनाने के दिशा में पहल करते हुए इंटिग्रेटिड केस मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (आईसीएमआईएस) लॉन्च किया। आईसीएमआईएस मामलों की ई-फाइलिंग में मदद करती है और वादियों को ऑनलाइन सूचना हासिल करने की सुविधा प्रदान करती है।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह के दौरान देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने आईसीएमआईएस को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि क्वांटम के रूप में परिणाम कैसा आता है वह अलग बात है, लेकिन यह सेंस ऑफ रिस्पॉस्बिलिटी पर बल देता है और सामान्य नागरिक के मन में भी विश्वास पैदा होता है। न्यू इंडिया के लिए यह विश्वास जरूरी है, पीएम ने यहां आभार भी प्रकट किया।

पीएम ने कहा कि जब तक अखबार नहीं पढ़ते, तब तक संतोष नहीं होता, लेकिन आज के बच्चे मोबाइल पर ही अखबार पढ़ लेते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करते, वह नई व्यवस्था में आईसोलेट हो जाते है। पीएम ने कहा यह जेनरेशन गैप की प्रॉब्लम है। इसे कोपअप करना होगा।

इस मौके पर न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि देश में न्याय वितरण प्रणाली में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत है, जिसके लिए ई-फाइलिंग बेहतर प्रणाली है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इससे वकीलों के पास ई-फाइलिंग का विकल्प होगा, और वे अपने कार्यालयों से ही याचिका दायर कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस सिस्टम के बाद याचिका दायर करने के लिए रजिस्ट्री के पास आने की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति केहर ने बताया कि ई-फाइलिंग सबसे बेहतर प्रणाली है, और इसे बेहतर बना रहे है। उन्होंने कहा कि सभी उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों को भी इस प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह सिस्टम पर्यावरण की रक्षा में भी मदगार है।

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