Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, May 10
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»नौकरी पर संकटः SC का यूपी के 1.75 लाख शिक्षामित्रों को हटाने का संकेत
    देश

    नौकरी पर संकटः SC का यूपी के 1.75 लाख शिक्षामित्रों को हटाने का संकेत

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीMay 2, 2017No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यूपी में शिक्षण कार्य कर रहे पौने दो लाख शिक्षामित्रों को हटाकर उन्हें नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि नई भर्ती होने तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक शिक्षामित्रों को कार्य करने दिया जाएगा और जैसे ही नई भर्ती संपन्न होगी उन्हें उससे बदल दिया जाएगा।

    जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को ये टिप्पणियां तब की जब यूपी के एएजी अजय कुमार मिश्रा और नलिन कोहली ने कहा कि यदि सर्वोच्च अदालत हाईकोर्ट के फैसले को कोर्ट सही मान रही है तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन हम 22 सालों से काम कर रहे पौने दो लाख लोगों का क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान हम बताएंगे।

    पीठ ने कहा कि आप छह माह के अंदर नई भर्ती कीजिए। इस भर्ती को दिसंबर तक पूरा कीजिए। ऑनलाइन आवदेन सिस्टम से यह संभव है। इसके बाद अगले वर्ष मार्च तक नियुक्तियां कीजिए। तब तक शिक्षामित्रों को अध्यापन करने दीजिए। उन्हें इस भर्ती में बैठने का पूरा अधिकार होगा, उनके लिए उम्रसीमा का बंधन नहीं होगा, क्योंकि वह पहले से पढ़ा रहे हैं। जहां तक उन्हें दी जाने वाली वरिष्ठता का सवाल है तो यूपी सरकार नियम बनाकर उसे तय कर सकती है। इसमें कोई समस्या नहीं है।

    नियुक्तियां असंवैधानिक
    कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां संवैधानिक के खिलाफ हैं क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो। पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।

    दूरदराज शिक्षा देने के लिए की थी भर्ती
    यूपी सरकार ने कहा कि 1999 में शिक्षामित्रों की भर्ती प्रदेश के दूरदराज केक्षेत्रों में बालकों को बेसिक शिक्षा देने के लिए की गई थी। यह एक कल्याणकारी कदम था जिसके पीछे कोई गलत मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा कि 22 साल से चल रही यूपी सरकार की इस नीति को चुनौती नहीं दी है। जिन्होंने चुनौती दी है उनकी संख्या लगभग 200 है और उन्हें सरकार नौकरी में लेने को तैयार है।

    अच्छी मंशा आंखों का धोखा है
    कोर्ट ने कहा हम मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं हम यह पूछ रहे हैं कि आपने शिक्षामित्रों को योग्यता शिक्षा हासिल (बीएड,बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी और टीईटी) करने के लिए किस नियम के तहत अनुमति दी। क्या आपने इसके लिए कोई विज्ञापन निकाला था क्या कोई चयन प्रक्रिया तय की थी। आपकी कल्याणकारी मंशा कुछ नहीं, आंखों का धोखा मात्र है, आपने नियमों के विरुद्ध भर्ती की है। जस्टिस ललित ने पूछा आप इस नतीजे पर किस आधार पर पहुंचे कि प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों की जरूरत है और आपने मार्केट में मौजूद प्रतिभा को महरूम कैसे किया। क्या इसे निष्पक्ष प्रतियोगिता कहा जा सकता है। आप कह रहे हैं इसे किसी ने चुनौती नहीं दी। जब तक ये अनुबंध था किसी को समस्या नहीं थी लेकिन जब आप नियमित करने लगे तक समस्या हुई। बिना विज्ञापन आप नियमित कैसे कर सकते हैं।

    कोर्ट मामले को आज की समाप्त करना चाहता था लेकिन कुछ शिक्षामित्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने वह कुछ बहस करेंगे। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को बचकाना बताया और कहा कि उन्होंने यह नहीं देखा कि शिक्षामित्र रखने को उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा देना था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला देते समय एक भी शिक्षामित्र को नोटिस नहीं दिया था। कोर्ट का समय पूरा होने के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी इसलिए कोर्ट ने मामला कल तक के लिए स्थगित कर दिया।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleप्रियंका की ड्रेस पर हुई ‘दंगल की कुश्ती’, लोगों ने यूं लिए मजे
    Next Article ‘मोदी पहले अपनी पत्नी को हक दें फिर मुसलमान औरतों का ख्याल रखें’
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    कर्नल सोफिया ने बताया- तुर्की के ड्रोन से पाकिस्तान ने किया हमला, भारतीय सेना ने मंसूबों को किया नाकाम

    May 9, 2025

    गृह मंत्रालय ने राज्यों को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया

    May 9, 2025

    मप्र में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक

    May 9, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलना दुर्भाग्यपूर्ण: बाबूलाल मरांडी
    • बूटी मोड़ में मिलिट्री इंटेलिजेंस और झारखंड एटीएस का छापा, नकली सेना की वर्दी बरामद
    • कर्नल सोफिया ने बताया- तुर्की के ड्रोन से पाकिस्तान ने किया हमला, भारतीय सेना ने मंसूबों को किया नाकाम
    • गृह मंत्रालय ने राज्यों को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया
    • मप्र में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version