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    Home»ताजा खबरें»कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन बोले- अगर ऐसा हो गया तो न तीसरी लहर आएगी और न ही मचेगी तबाहीv
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    कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन बोले- अगर ऐसा हो गया तो न तीसरी लहर आएगी और न ही मचेगी तबाहीv

    sonu kumarBy sonu kumarMay 31, 2021No Comments4 Mins Read
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    कोरोना कर्फ्यू के चलते ही देश में कोविड के मरीजों की संख्या में जबरदस्त कमी आई है। अगर ऐसे ही मरीजों की संख्या में कमी आती रही और एक दिन यह संख्या 20 से 25 हजार मरीज प्रतिदिन पर आकर टिक गई तो देश में कोरोना की न तीसरी लहर आएगी न कोई चौथी लहर आएगी। कोरोना पर नजर रखने वाली टीम के सदस्यों का कहना है फिर जैसे अन्य दूसरी बीमारियों का प्रकोप आता है उसी प्रकार से कोरोना का भी हाल होगा। इसलिए कोविड-19 पर नजर रखने वाली टास्क फोर्स ने केंद्र सरकार और अन्य जिम्मेदार महकमों के अधिकारियों को सलाह भी दी है कि हमें ऐसी ही व्यवस्थाएं लागू कर ज्यादा से ज्यादा संक्रमण को रोकना होगा। पश्चिमी देशों में कोविड-19 के संक्रमण को लॉकडाउन और वैक्सीनेशन के माध्यम से ही सबसे ज्यादा प्रभावकारी तरीके से रोका गया। देश में कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि हमें अब बहुत ज्यादा सावधानी और बहुत बेहतर योजना के साथ आगे बढ़ना होगा। उनका कहना है अगर हमने इन्हें अपना लिया तो देश में कोरोना की तीसरी और चौथी लहर आएगी और न ही चौथी लहर। इसके पीछे का तर्क देते हुए डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं कि हमें इस वक्त के पूरे प्रोटोकॉल को अगले कुछ समय तक फॉलो करना ही पड़ेगा।

    इस प्रोटोकॉल में कोरोना कर्फ्यू और वैक्सीनेशन, ये दो सबसे महत्वपूर्ण हैं। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है पश्चिमी देशों में कोरोना पर काबू पाने की सबसे प्रमुख वजहों में लॉकडाउन और ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण ही रहा। उनका कहना है कि हम अगर बीते दो से तीन हफ्ते के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि कोरोना संक्रमित मरीजों का ग्रोथ रेट कम होने लगा है। उनका कहना है कि निश्चित तौर पर यह व्यवस्था बहुत लाभकारी है।

    कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है कि इस बार के कोरोना कर्फ्यू को अगर हम पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन से तुलना करते हैं तो यह उतना ज्यादा कठोर नहीं था। बावजूद इसके मामलों में कमी आई। इसकी वजह वैक्सीनेशन भी है। अरोड़ा का कहना है कि कई राज्यों ने इस बार इंडस्ट्रीज को चलने दिया और लोगों की रोजी-रोटी न जाए इसके लिए शुरुआती दौर में सिर्फ वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया। कुछ राज्यों में दुकानों के खुलने की टाइमिंग भी तय की गई।

    डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू लगाना राज्य सरकारों का काम है। मैं यह इसलिए बता रहा हूं कि ऐसी व्यवस्थाएं कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकती हैं। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि इस वक्त का जो कोरोना कर्फ्यू है वह सबसे आइडियल कर्फ्यू माना जाएगा। धीरे-धीरे इसमें छूट देकर कोविड के मामलों को भी जांचा जाएगा। वह कहते हैं कोरोना के मामलों का कम और ज्यादा होना देश में होने वाले लॉकडाउन और टीकाकरण की व्यवस्था से ही आंका जाएगा।

    पश्चिमी देशों में कोरोनावायरस से कम होने की सबसे प्रमुख वजहों में लॉकडाउन और टीकाकरण की व्यवस्था रही। डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि इस्राइल, अमेरिका और यूके जैसे देशों ने जब अपने देश में मास्क हटाने की बात कही, तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही था कि उनके देश की अच्छी खासी आबादी में टीकाकरण हो चुका था।। इसके अलावा जिन देशों में टीकाकरण अभियान बहुत तेज था उन देशों में लॉकडाउन जैसी व्यवस्था भी लगातार बनी हुई थी। उन्होंने बताया कि जर्मनी-यूरोप जैसे कई पश्चिमी देशों में अभी तक लॉकडाउन की व्यवस्था चल रही है।

    डॉक्टर एनके अरोड़ा का कहना है कि जिस दिन हमारे देश में कोरोना के मरीजों की रोजाना पॉजिटिव संख्या 20 से 30 हजार के करीब हो जाएगी, उस दिन यह मान लिया जाएगा कि हम लोगों को अब कोरोना की किसी भी लहर से डरने की जरूरत नहीं है। डॉ एनके अरोड़ा ने कहा इसलिए बेहतर है कि हम सब लोग उन सभी दिशा निर्देशों का पालन करें जो हमारी बेहतरी के लिए केंद्र सरकार द्वारा बताया जा रहे हैं।

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