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    Home»ताजा खबरें»चक्रवाती तूफान ‘यास’ से प्रभावित नहीं होगा मानसून, खुश रहेंगे यूपी के किसान
    ताजा खबरें

    चक्रवाती तूफान ‘यास’ से प्रभावित नहीं होगा मानसून, खुश रहेंगे यूपी के किसान

    sonu kumarBy sonu kumarMay 22, 2021No Comments4 Mins Read
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    देश के पश्चिम तट से उठे तूफान ताउते से भले ही कई राज्यों में तबाही मची हो पर उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में प्री मानसून की बेहतर बारिश हुई है। इसके बाद अब पूर्वी तट पर ओमान द्वारा दिया गया नाम ‘यास’ तूफान सक्रिय हो गया है और आगामी दिनों में उत्तर पूर्व के कई राज्यों में कहर बरपा सकता है, लेकिन इसका असर मानसून पर नहीं पड़ने वाला है और मानसून दक्षिण अंडमान सागर से अपनी दिशा के अनुरुप आगे बढ़ने लगा है। इससे उत्तर प्रदेश में सामान्य बारिश होने के आसार है और किसानों के लिए यह खुशखबरी होगी। 
     
    चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पाण्डेय ने शनिवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून दक्षिणी अंडमान सागर और दक्षिण-पूर्वी पश्चिम बंगाल में मानसून आ गया है। 27 मई से दो जून के बीच केरल के ऊपर छा जाने की पूरी उम्मीद है। उत्तरी अंडमान सागर के ऊपर हल्का दबाव बनने वाला है। इसी के साथ ही बंगाल की खाड़ी के पूर्वी केंद्र में 22 मई से हल्का दबाव रहेगा। जबकि 24 मई को चक्रवाती तूफान के तेज होने की आशंका है। 26 मई की सुबह को उत्तर पश्चिमी दिशा में बंगाल की खाड़ी के निकट ओडिशा-पश्चिम बंगाल तट तक पहुंचेगा। अंडमान और निकोबार तक मानसून के 23 मई तक आने के आसार हैं। इससे साफ है कि भारतीय उपमहाद्वीप तक मानसून जल्दी ही आ जाएगा। 
     
    मौसम विभाग ने पहले ही बता दिया है कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा। हालांकि पूर्वी तट पर जो स्थितियां पैदा हो रही हैं उससे यास नामक चक्रवात आगामी दिनों में उत्तर पूर्व की ओर बढ़ेगा, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून को प्रभावित नहीं करेगा। खासकर उत्तर प्रदेश में सामान्य बारिश होगी और किसानों को फसल की दृष्टि से यह बेहतर होगा। 
     
    24 मई को यास के बनने की उम्मीद
    मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पूर्वी मध्य और उससे सटे उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के निचले स्तरों पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। यह अगले 24 घंटों में उसी क्षेत्र में बनने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र की प्रस्तावना है। 23 मई को एक डिप्रेशन और 24 मई को संभावित चक्रवात यास बनने की उम्मीद है। पिछले चक्रवात ताऊते ने एक लंबी समुद्री यात्रा की थी और इसलिए यह एक अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया। ओमान द्वारा नामित तूफान यास जब 24 मई को विकसित होगा, तो समुद्र तट से पहले मुश्किल से 500-600 किमी का समुद्री विस्तार होगा। 25 मई की रात या 26 मई की सुबह तूफान के उत्तर पश्चिम की ओर पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा तट की ओर बढ़ने की उम्मीद है। 
     
    मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक समुद्री सतह के तापमान और विंड शीयर के मामले में स्थितियां अनुकूल हैं। ऐसे में यह एक भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है। इसके बाद, भूमि की निकटता और संभावित प्रवेश इसे और मजबूत करने की अनुमति नहीं दे सकता है। फिर भी तूफान इतना मजबूत होगा कि बहुत भारी वर्षा और उच्च वेग वाली आंधी हवाओं के कारण खराब मौसम की स्थिति पैदा कर सके। इन तूफानों की समयसीमा, तीव्रता और ट्रैक की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है। यह चक्रवात ताऊ ते के साथ भी हुआ। चक्रवात के शुरु होने के बाद अगले 24-48 घंटों में तूफान के संचालन के बारे में अधिक स्पष्टता आ जाएगी। चक्रवात के प्रभाव के लिए समय कम होगा और इसलिए चुनौती का सामना करने के लिए तैयारी जल्दी शुरु होनी चाहिए।
     
    अम्फान की तरह तबाही ला सकता है यास
    बताया कि यास बीते साल आए तूफान अम्फान की तरह तेज हो सकता है। आईएमडी में चक्रवातों पर नजर रखने वाली सुनीता देवी के मुताबिक हम अम्फान जैसी तीव्रता से इनकार नहीं कर सकते। अच्छी बात यह है कि अभी के मॉडल दिखा रहे हैं कि सिस्टम समुद्र के ऊपर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। समुद्र के ऊपर इसका समय कम होने पर इसकी तीव्रता प्रतिबंधित हो जाएगी।
     
    आखिर क्यों आते हैं चक्रवाती तूफान
    तूफान या चक्रवात उत्पत्ति तब होती है, जब समुद्री जल का तापमान 79 डिग्री फारेनहाइट (26.1 डिग्री सेल्सियस) से बढ़ जाता है। जैसे-जैसे गर्म जल वाष्प में बदलता और ऊपर वातावरण में पहुंचता है, यह ठंडी हवा से मिलकर प्रतिक्रिया करता है और तूफान के रुप में समाने आता है। उच्च तापमान से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जो आखिर में हवाओं की रफ्तार, बारिश और अन्य कारकों को प्रभावित करता है। जब तापमान बढ़ता है तो वातावरण में मॉइश्चर (नमी) बढ़ जाता है। हवा में नमी अधिक होने से जब वो कम या ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में पहुंचती है तो अत्यधिक शक्तिशाली सिस्टम बन जाता है जिससे बिजली गिरना, भारी बरसात, ओलावृष्टि या अत्यधिक बर्फ गिरने की स्थिति बन जाती है।
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