विशेष
कैसे भारत ने तीतर-बटेर की तरह तुम्हारे ड्रोन को गिरा दिया, यही तुम्हारी औकात है
भारत एहसान फरामोशी भूलता नहीं, अब हर भारतीय आर्थिक चोट देने को तैयार
पाकिस्तान का साथ देकर खुद का नुकसान कर गये तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन
तुर्किए को महज दो दिन के भीतर ही दिखने लगे हैं चांद और तारे
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ चलाये गये ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक तरफ जहां भारत को दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया है, वहीं इसके कूटनीतिक परिणामों ने भारत को अपने दोस्तों और दुश्मनों की नये सिरे से पहचान का अवसर भी प्रदान किया। कहते हैं न जरूरत के वक्त पर ही लोगों की पहचान होती है। भारत ने इस अवसर का अच्छी तरह से इस्तेमाल किया और अपने एक नये दुश्मन की पहचान की। तुर्किये और अजरबैजान ने बेशर्मी की मिसाल कायम की है। हमने इन देशों की तरक्की चाही। बदले में इन्होंने पीठ में चाकू भोंक दिया। कहते हैं सांप को कितना भी दूध पीला लो, एक दिन वह डस ही लेता है। इन दोनों देशों ने भी यही किया। भारत से संघर्ष में पाकिस्तान के साथ खड़े होकर इन्होंने अपनी औकात दिखाई है। तुर्किए, जिसे पश्चिमी देश ‘पूरब का प्रवेश द्वार’ और पूर्व के देश ‘पश्चिम का प्रवेश द्वार’ कहते हैं। पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती का खुलेआम प्रदर्शन किया। तुर्की ने पिछले साल अपने यहां आये भयानक भूकंप के दौरान भारत के एहसान को भूल कर न सिर्फ पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई की, बल्कि अपने सैन्य आॅपरेटिव्स को भी पाकिस्तानी सेना की सहायता के लिए भेजा। हालांकि, भारत की जवाबी कार्रवाई इतनी जबरदस्त थी कि न सिर्फ पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा, बल्कि तुर्किए की इज्जत के भी परखच्चे उड़ गये। भारत ने तुर्की में बने ड्रोन को हवा में ही मार गिराया। ऐसा लगा मनो भारत तीतर-बटेर गिरा रहा हो। भारतीय सेना ने तुर्किये को उसकी औकात दिखा दी। पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण भारत में स्वाभाविक तौर पर तुर्किए के खिलाफ माहौल बना है और अब भारत ने तुर्किए के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को नये सिरे से परिभाषित करना शुरू कर दिया है। महज दो दिन में इसकी कीमत तुर्किए को महसूस होने लगी है। भारत ने 2023 में तुर्किए में आये भीषण भूकंप के बाद वहां सहायता पहुंचाने के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया, लेकिन तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान को ड्रोन भेजकर उसका बदला चुकाया। अब भारतीय नागरिक तुर्की की यात्राएं रद्द कर रहे हैं और तुर्की के उत्पादों के बहिष्कार कर रहे हैं। राजनेताओं और अभिनेताओं से लेकर सैन्य दिग्गजों तक, हर कोई ‘तुर्कीए के बहिष्कार’ अभियान को आवाज दे रहा है। इसका असर यह हुआ है कि तुर्किए के लिए पर्यटकों की बुकिंग रद्द होने की संख्या में 250% की वृद्धि हुई है। वहीं, भारतीय कॉरपोरेट्स ने तुर्किए के साथ बिजनेस से दूर रहने का वादा किया है। जेएनयू ने तुर्किए विश्वविद्यालय के साथ एक समझौते को निलंबित कर दिया है। फिल्म निर्माताओं ने भी फिल्म शूटिंग के लिए तुर्किए का बहिष्कार करने की घोषणा की है। 2024 में पर्यटन के लिए 2.75 लाख भारतीय तुर्किए गये। तुर्किए में भारतीयों का औसत प्रवास 7-10 दिन है। कुल मिलाकर, भारतीय तुर्किए की अर्थव्यवस्था में सालाना 2,900-3,350 करोड़ रुपये का योगदान करते हैं। चूंकि भारत का मध्यम वर्ग अतिरिक्त आय के साथ 40 करोड़ तक पहुंच गया है, इसलिए सोशल मीडिया और फिल्मों के माध्यम से लोकप्रियता उन्हें तुर्किए की ओर आकर्षित कर रही है। भारत के कारण तुर्किए में 20,000 प्रत्यक्ष पर्यटन नौकरियों का सृजन हुआ। अप्रत्यक्ष नौकरियां 45,000-60,000 से अधिक हैं। पिछले चार वर्षों में तुर्किए के आतिथ्य क्षेत्र में भारतीय निवेश में 35% की वृद्धि हुई है। ऐसे में भारत के साथ रिश्ते खराब होने से तुर्किए पर करारी आर्थिक चोट पड़ी है और अब इसका असर दिखने लगा है। क्या है तुर्किए के साथ भारत के नये रिश्तों का स्वरूप और क्या हो रहा है असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
पहलगाम में नरसंहार करने वाले आतंकियों को उनके ठिकाने पर जाकर धूल चटाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया। उसने इसे अपनी नाक का सवाल बना लिया और भारत के खिलाफ कायराना हरकतें शुरू कर दीं। ड्रोन और मिसाइलों से भारत पर हमला करके उसने साबित कर दिया कि वह सुधरने वाला नहीं है। लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इस नापाक हरकत में पाकिस्तान का साथ देने के लिए उसका एक ऐसा ‘दोस्त’ आगे आया, जिसने भारत के सारे एहसानों को पल भर में भुला दिया। यह ‘दोस्त’ और कोई नहीं, तुर्किए था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। जिस देश ने कभी मुश्किल समय में भारत से मदद ली थी, उसी ने आज भारतीय सेना और आम लोगों को निशाना बनाने के लिए पड़ोसी मुल्क को ड्रोन और हथियार सप्लाई किये। तुर्किए ने दोस्ती की सारी हदें पार कर दीं और साबित कर दिया कि उसके लिए भारत के साथ निभाये गये पुराने रिश्ते कोई मायने नहीं रखते। अब भारत में इस धोखे का जबरदस्त विरोध हो रहा है और हर भारतीय के मन में यही सवाल है कि क्या दोस्ती का यही सिला मिलता है?
तुर्किए पर क्या है भारत का एहसान
फरवरी 2023 में तुर्किए में आये बेहद भयंकर और महाविनाशकारी भूकंप में भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था। इस दौरान भारत की ओर से ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर तुर्किए के लोगों की मदद की गयी थी। ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भारत ने तुर्किए में जाकर न केवल लोगों को बचाया था, बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भी भेजी थी। इसके लिए भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान का भी उपयोग किया गया था।
अब तुर्किए से हिसाब-किताब शुरू
वहीं अब तुर्किए की एहसान फरामोशी का जवाब देने भारत की जनता खुद सामने आ गयी है और खुलकर तुर्की के उत्पादों का बायकॉट कर रही है। भारत के फल विक्रेताओं ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का सपोर्ट करने के लिए हमने तुर्की के सेबों का बायकॉट करने का फैसला लिया है। फल विक्रेताओं ने आगे कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से हम व्यापार नहीं करेंगे। वहां से अब सेब के साथ किसी अन्य फल का भी आयात नहीं किया जायेगा। अब हमने हिमाचल या फिर किसी अन्य भारतीय राज्य से सेब खरीदने का फैसला किया है।
तुर्किए को लग रही है जबरदस्त आर्थिक चोट
आमतौर पर भारत में तुर्किए से हर साल 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये के सेब आयात किये जाते हैं। तुर्किए द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किये जाने के कारण मार्बल उद्योग ने भी आयात को बायकॉट करने का फैसला किया है। इससे तुर्किए को काफी आर्थिक चोट पहुंची है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी ‘तुर्किए बायकॉट’ ट्रेंड कर रहा है और लोग तुर्किए घूमने की अपनी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं। इस कारण से बड़ी संख्या में भारत से तुर्किए जाने की बुकिंग रद्द हो रही है। भारत के शीर्ष उद्योग निकाय कनफेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (सीओआइटी) ने सभी व्यापारियों और नागरिकों से तुर्किए का बायकॉट करने की अपील की है।
कैसा है भारत का तुर्किए से व्यापारिक रिश्ता
आंकड़ों के अनुसार तुर्किए में हर साल छह करोड़ के करीब विदेशी पर्यटक जाते हैं, जिनमें से अकेले भारतीयों की संख्या तीन लाख है। यह वृद्धि दर 20% (2023 से) है और तुर्किए में एक भारतीय पर्यटक करीब चार लाख रुपये खर्च करता है। 2023 की तुलना में पिछले साल तुर्किए में 20 प्रतिशत अधिक भारतीय यात्री आये थे। इसके अलावा करीब दो हजार करोड़ के फलों का आयात भी तुर्किए से किया जाता है, जो पिछले दो दिनों से बंद है। सीओआइटी ने कहा कि इससे पहले उसने चीनी उत्पादों के बायकॉट के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था, जिसका काफी असर हुआ था। अब वह तुर्किए और अजरबैजान की यात्रा के बायकॉट के लिए अभियान चला रहा है। भारत तुर्किए से दाल, तिलहन और स्टील जैसी चीजें खरीदता है। दोनों देशों के बीच व्यापार को 20 अरब डॉलर तक ले जाने की योजना थी। लेकिन अब बदले माहौल में यह रिश्ता पूरी तरह खत्म हो सकता है। सरकार की ओर से अभी टूर आॅपरेटरों को कोई औपचारिक आदेश नहीं दिया गया है, लेकिन ज्यादातर ट्रैवल कंपनियों ने तुर्किए की बुकिंग में भारी गिरावट दर्ज की है।
तुर्किए के राष्ट्रपति ने गलती कर दी
सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन की हालत मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू की तरह ना हो जाये। यह ऐसे ही नहीं कहा जा रहा है। भारत ने तुर्किए से व्यापार खत्म कर दिया है, क्योंकि वह पाकिस्तान जैसे आतंकी समर्थक देश के साथ खड़ा है। जनवरी, 2024 जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप की तस्वीरें वायरल हुई थीं, तब मालदीव के नेताओं ने इस पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और भारतीयों को निशाना बनाया। इसके बाद भारतीयों ने मालदीव के बहिष्कार की मांग की और टूरिज्म से लेकर व्यापार तक उसका असर दिखा। कई लोगों ने वहां जाना छोड़ दिया। मालदीव की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा। अब ऐसा ही कुछ तुर्किए के साथ हो सकता है।
सरकार का रुख भी कड़ा
अब भारत तुर्किए के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म करने की तैयारी में है। सरकार का कहना है कि भारत किसी ऐसे देश के साथ व्यापार नहीं कर सकता, जो ‘आतंकवादी राज्य’ का समर्थन करता हो। इस तरह भारत से दूरी बनाकर तुर्किए ने न सिर्फ कूटनीतिक गलती की है, बल्कि अपने टूरिज्म और व्यापार को भी संकट में डाल दिया है।
विपक्ष भी तुर्किए पर हमलावर
तुर्किए के पाकिस्तान समर्थन पर सिर्फ आम लोग ही नहीं, विपक्षी नेता भी सख्त प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा है कि तुर्किए में डेस्टिनेशन वेडिंग तुरंत बंद होनी चाहिए। वहीं शिवसेना (उद्धव) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने तुर्किए में छुट्टियां बिताने को ‘रक्त धन’ करार दिया।
कांग्रेस का दफ्तर है तुर्किए में
तुर्किए के भारत विरोधी रुख के कारण एक तरफ जहां विपक्षी दल और आम लोग उसका बहिष्कार कर रहे हैं, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अंकारा में अपना एक दफ्तर खोला है। कांग्रेस नेतृत्व को देश को इसका जवाब देना ही होगा।