श्रीनगर के दिवंगत पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित की हत्या मामले में उनके परिवार और दोस्तों में जबर्दस्त ग़ुस्सा और अविश्वास है। अयूब की भाभी ने कहा कि हम किस मुक़ाम पर आ गए हैं कि एक पवित्र रात को हम एक मस्जिद के बाहर एक शख्स को बेवजह मार डालते हैं। क्या मजहब ने हमें यही सिखाया है?
दरअसल दिवंगत पुलिस अधिकारी की भाभी ने उनके गृह नगर नोपोरा में हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए ये बाते कही। उन्होंने कहा कि क्या हम इसी आजादी के लिए लड़ रहे हैं कि हमने लोगों को मार डालना शुरू कर दिया है।’ उन्होंने कहा कि उन्हें किसी चरमपंथी या सेना के जवान ने नहीं मारा। उन्हें एक भीड़ ने मारा। उन्होंने एक बेकसूर तहजुद गुज़र (रात में प्रार्थना करने वाले) को मारा।’
उन्होंने चिल्लाते हुए हुर्रियत नेताओं से जानना चाहा कि कश्मीर का समाज किधर जा रहा है। अयूब की भाभी ने कहा कि हमारे बच्चे अनाथ हो रहे हैं। अयूब की पत्नी और उनके दो छोटे-छोटे बच्चों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि भीड़ ने सिर्फ एक शख्स को नहीं मारा है बल्कि तीन और लोगों को भी जान ली है।
दिवंगत अफसर के दोस्त और पड़ोसियों ने बता कि अयूब बहुत ही ईमानदार और जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे। उनके ऊपर उनकी बीवी और दो बच्चों की जिम्मेवारी थी।
एमबीबीएस कर रही है दिवंगत अफसर की बेटी
कश्मीर में हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्य और उनके भतीजे ने बताया कि दिवंगत डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की बेटी बांग्लदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं, जबकि उनका बेटा 12वीं की परीक्षा के बाद से बीमार है।
अयूब की भाभी ने बताया कि पंडित बहुत ही ईमानदार व्यक्ति थे, पुलिस अफसर होने का उन्हें कोई गुमान नहीं था। यहां तक कि वे अपने जूते भी खुद ही पॉलिश करते थे।
नौपोरा के रहने वाले थे अयूब पंडित
दिवंगत अफसर मोहम्मद अयूब पंडित का पैतृक नौपोरा में था। वहां उनका परिवार व्यवसाय करता है । उनके परिवार में दो भाइयों के साथ तीन बहनें भी हैं। पंडित ने अपने करियर की शुरूआत 1990 में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में की थी। वे फिलहाल वे जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षा विंग में डीएसपी के पद पर तैनात थे और कुछ दिन पहले ही उन्हें मस्जिद पर तैनात किया गया था। इस क्षेत्रम में आने वाले कई स्थानीय लोग उन्हें जानते थे। सुरक्षा विंग में पोस्ट किए गए पुलिसकर्मी सर्विस रेगुलेशन के मामले में के वर्दी नहीं पहनते हैं।
भीड़ द्वारा उनकी हत्या के मामले में उनके एक पड़ोसी सजाद मदनी ने बताया कि कैसे पंडित सभी के लिए सांत्वना के स्रोत थे। उन्होंने बताया कि जैसा कि रिपोर्ट में सामने आया है कि पंडित के गार्ड ने उन्हें भीड़ में मरने के लिए अकेला छोड दिया। मदनी ने उन्हें ड्यूटी पर उचित सुरक्षा प्रदान नहीं करने के लिए पुलिस की आलोचना की। दरअसल गुरुवार शाम को उन्हें फोन कर जामिया मस्जिद जाने के लिए कहा गया था।
बता दें कि श्रीनगर की जामा मस्ज़िद के बाहर सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित की गुरुवार को भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। यह इस्लाम में पवित्र मानी गई रात शब-ए-क़द्र का मौक़ा था।