श्रीनगर: जम्मू–कश्मीर में सेना ने सर्च ऑपरेशन कर आतंकवादियों पर नकेल कस रखी है। सेना को भी सफलता मिल रही है और वह आतंकवादियों को भी मुंह तोड़ जवाब दे रही है। इस कवायद में सेना अब वहां एक ऐसे खास डिवाइस का इस्तेमाल कर रही है, जिससे घरों की चहारदीवारी के पीछे छिपे आतंकवादियों का पता लगाया जा सकता है।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने सेना से जुड़े शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया है कि अमेरिका और इजराइल से ‘थ्रू द वॉल’ रडार मंगाए गए हैं। इस डिवाइस की मदद से दीवार के आरपार देखा जा सकता है। ये रडार तलाशी ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों की सटीक स्थिति बताने में खासा मददगार साबित हो रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि पिछले कई मौके पर देखा गया कि सटीक खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस या सेना जब आतंकवादियों को पकड़ने जाती हैं, तो वे चकमा देकर घरों में छुप जाते थे। ऐसे में तलाशी अभियान लम्‍बा खिंच जाता है। इस दौरान फिर हिंसक भीड़ और पाकिस्‍तान से फंडिंग ले रहे पत्थरबाज भारतीय सुरक्षाबलों के मिशन में मुश्किल खड़ी करने लगते थे।

ऐसे में सेना ने दीवारों के पार देखने वाले इन रडार का कुछ जगहों पर इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है और ये काफी कारगार भी साबित हुए है। DRDO के पूर्व निदेशक (पब्लिक इंटरफेस) रवि गुप्ता के हवाले से खबर में बताया गया है कि ये रडार माइक्रोवेव रेडिएशन पर काम करते हैं।

इन माइक्रोवेव तरंगों की मदद से इंसानों के शरीर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों में छोटे बदलावों का भी पता चल जाता है। रडार पर उभरने वाले संकेत सेना को छुपे हुए आतंकवादियों की जगह और उनकी गतिविधियों का तुरंत पता बता देते हैं।

वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों के बाद इन रडारों की जरूरत महसूस की गई थी। इस हमले के दौरान आतंकवादी ताजमहल होटल के कमरों में छिपे थे और उनकी तलाश में कमांडो को काफी मुश्किल और नुकसान का सामना करना पड़ा था।

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