आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सऊदी अरब, मिस्र, बहरीन, यमन, लीबिया और संयुक्त अरब अमीरात ने कतर से सारे संबंध खत्म कर लिए हैं। इन देशों ने कतर पर मुस्लिम ब्रदरहुड नाम के संगठन को बढ़ावा देने के साथ आतंकवादी समूहों को सहयोग देने का आरोप लगाते हुए संबंध तोड़े हैं। अब सहयोगी के नाम पर कतर के साथ सिर्फ पाकिस्तान है। कतर के शहजादे हमद बिन जासिम बिन जबर अल थानी का पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मजबूत रिश्ते हैं।
पिछले साल जब पाक के पीएम शरीफ पनामा पेपर मामले में फंसे हुए थे तो कतर के शहजादे ने ही उनका बचाव किया था। पिछले साल नवंबर में शरीफ के परिवार ने अपने चार लग्जरी अपार्टमेंट्स की संपत्ति का खुलासा किया था, जिसे उन्होंने ऑफशोर निवेश कंपनी के माध्यम से खरीदा था। इस साल जनवरी में शरीफ ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में कतर के शहजादे का पत्र जमा किया। पनामा मामले में शरीफ का लंदन अपार्टमेंट केंद्र में है। कतर के शहजादे ने दावा किया कि शरीफ के लंदन वाले अपार्टमेंट में उन्होंने पैसा लगाया था। साथ ही उनके साथ कारोबारी संबंधों के बारे में भी स्पष्टीकरण दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पत्र में कतर के शहजादे दावा है कि उनकी कंपनी में 1980 के दशक में 1.2 करोड दिरहम का निवेश मियां मोहम्मद शरीफ (प्रधानमंत्री शरीफ के पिता) ने नकद किया था। नवाज शरीफ को बकाया आठ लाख डॉलर (करीब 5 करोड़ रुपये) की राशि का भुगतान 2006 में किया गया था।
आपको बता दें कि अमेरिका के वित्त विभाग ने आतंकवाद को फंडिंग करने के लिए कतर के नागरिकों पर पाबंदी लगाई हुई है। हाल के हफ्तों में अमेरिकी मीडिया में छपे लेखों पर कतर पर आतंकवाद के फंडिंग का आरोप लगा। इसके अलावा हमास के पूर्व प्रमुख खालिद मेशाल को शरण देने को लेकर भी कतर की आलोचना की गई थी। उन्होंने इस महीने के शुरू में अपने दोहा के ठिकाने से एक नया नीति दस्तावेज जारी किया था। वह दोहा में कई सालों से निर्वासन में रह रहे हैं। अफगान तालिबान ने वर्ष 2013 में दोहा में अपना दफ्तर खोला था।