Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, August 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»ताड़ उद्योग से देश में पैदा होंगे नए रोजगारः केवीआईसी
    देश

    ताड़ उद्योग से देश में पैदा होंगे नए रोजगारः केवीआईसी

    sonu kumarBy sonu kumarJune 17, 2020No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email
     खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने नीरा एवं ताड़ गुड़ का उत्पादन करने के लिए एक परियोजना आरंभ की है, ताकि देश में रोजगार सृजन की संभावनाएं बढ़े। इस परियोजना का उद्वेश्य साफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में नीरा को बढ़ावा देना और जनजातियों के अलावा पारंपरिक पाशिकों (ट्रैपर) के लिए स्व-रोजगार का सृजन करना भी है।
    केवीआईसी ने नीरा निकालने एवं ताड़ का गुड़ बनाने के लिए 200 स्थानीय कारीगरों को टूल किट बांटे, जिन्हें केवीआईसी द्वारा 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। 15,000 रुपये के मूल्य के बराबर के इस टूल किट में फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरेटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स एवं चाकू, रस्सी तथा नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे अन्य उपकरण शामिल हैं। यह पहल 400 स्थानीय पारंपरिक पाशिकों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराएगी।
    नीरा सूर्योदय से पहले ताड़ पेड़ से निकाली जाती है और भारत के कई राज्यों में एक पोषक स्वास्थ्य पेय के रूप में पी जाती है।  संस्थाकृत बाजार तकनीक के अभाव के कारण अभी तक नीरा का व्यावसायिक उत्पादन और बड़े पैमाने पर विपणन आरंभ नहीं हुआ है। यह परियोजना केंद्रीय लघु, मध्यम एवं शूक्ष्म उद्यमशीलता (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर शुरू की गई है, जो नीरा को व्यावसायिक रूप से उपयोगी बनाने के लिए साफ्ट ड्रिंक के रूप में नीरा का उपयोग करने के लिए राज्य की कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने की संभाव्यता की भी खोज कर रहे हैं।
    देश भर में लगभग 10 करोड़ ताड़ के पेड़ हैं। इसके अतिरिक्त अगर समुचित तरीके से मार्केटिंग की जाए तो कैंडी, मिल्क चाकलेट, पाम कोला, आइसक्रीम जैसे उत्पादों की व्यापक श्रृंखला तथा पारंपरिक मिठाइयां भी नीरा से तैयार की जा सकती हैं। वर्तमान में, देश में 500 करोड़ रुपये के बराबर के ताड़ गुड़ नीरा का व्यापार किया जाता है। नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ इस टर्नओवर में कई गुना बढोतरी होने की संभावना है। केवीआईसी ने नीरा और ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। प्रस्ताव किया गया है कि नियंत्रित स्थितियों के तहत नीरा का मानकीकृत संग्रह, प्रसंस्करण तथा पैकिंग आरंभ की जाए जिससे कि इसे किण्वन से बचाया जा सके। इसका उद्देश्य कोल्ड चेन के जरिये प्रसंस्कृत नीरा का बी2सी सप्लाई चेन तक पहुंचना है।
    केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कारीगरों को टूल किट वितरित करते हुए कहा, ‘नारियल पानी की तर्ज पर, हम नीरा को बाजार में उपलब्ध सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में बढ़ावा देने पर कार्य कर रहे हैं। नीरा जैविक है तथा पोषकों में समृद्ध है और इस प्रकार एक संपूर्ण स्वास्थ्य पेय है। नीरा के उत्पादन एवं विपणन में बढोतरी के साथ, हम इसे भारत के ग्रामीण उद्योग के एक प्रमुख कार्यक्षेत्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।’
    सक्सेना ने कहा कि नीरा के उत्पादन में बिक्री तथा स्वरोजगार के सृजन के रूप में भारी संभावना है। सक्सेना ने कहा कि ताड़ उद्योग भारत में रोजगार का एक प्रमुख सृजक हो सकता है। इसके साथ-साथ नीरा में निर्यात की भी असीम संभावनाएं हैं क्योंकि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं म्यांमार जैसे देशों में भी इसका उपभोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव, दादर एवं नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ताड़ प्रक्षेत्रों की बहुतायत है जो भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी उत्पादक बना सकते हैं।
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleगलवान में सैनिकों का नुकसान दर्दनाक और परेशान करने वाला: राजनाथ
    Next Article डॉ अम्बेडकर की क्षतिग्रस्त मूर्ति हटाकर नई मूर्ति लगाने का काम शुरू
    sonu kumar

      Related Posts

      प्रधानमंत्री मोदी आज नई दिल्ली में सांसदों के लिए बने नवनिर्मित फ्लैट का करेंगे उद्घाटन

      August 11, 2025

      कैलाश मानसरोवर यात्रियों का पांचवां दल गूंजी रवाना

      August 10, 2025

      रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज मप्र के प्रवास पर, रेल कोच फैक्ट्री का करेंगे भूमिपूजन

      August 10, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • हाइकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद छवि रंजन ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बेल
      • बारिश रुकने से राहत, कृषि कार्यों में आई तेजी
      • प्रधानमंत्री मोदी आज नई दिल्ली में सांसदों के लिए बने नवनिर्मित फ्लैट का करेंगे उद्घाटन
      • भूकंप से फिर दहला तुर्किए, 6.1 तीव्रता के झटके से भारी नुकसान की आशंका
      • हमारा राष्ट्र स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आधार पर ही समृद्ध हो सकता है : डॉ देवेश
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version