– राजधानी की ऐतिहासिक शाहजहानी जामा मस्जिद में ईद की विशेष नमाज अदा की गई
नई दिल्ली। मुसलमानों का दूसरा बड़ा पर्व ईद-उल-अजहा पूरे देश भर में गुरुवार को पूरे अकीदत और एहतेराम के साथ आज मनाया जा रहा है। राजधानी की ऐतिहासिक शाहजहानी जामा मस्जिद में सुबह 6 बजे मुसलमानों ने ईद की विशेष नमाज अदा की है। शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने यहां नमाज अदा कराई। दिल्ली की दूसरी बड़ी शाही मस्जिद फतेहपुरी में इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने नमाज अदा कराई। इसके अलावा राजधानी के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की गई। इस मौके पर मस्जिदों में विशेष तौर पर देश में अमन चैन और खुशहाली के लिए दुआएं की गईं।
जामा मस्जिद में नमाज से पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा है कि ईद-उल-अजहा त्याग और बलिदान का पर्व है। इसलिए हमें अपने पड़ोसियों खासतौर से हिंदू भाइयों की भावनाओं का आदर करते हुए इसे मनाना चाहिए। जानवरों की कुर्बानी करते समय हमें अपने पड़ोसियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुर्बानी के बाद साफ-सफाई का खास इंतजाम करना चाहिए। गलियों, सड़कों आदि पर खुले तौर से कुर्बानी नहीं करनी चाहिए। अगर कोई पड़ोसी कुर्बानी करने से मना करता है, तो उसकी बात को मानते हुए अपने रिश्तेदारों आदि के घरों पर जाकर कुर्बानी करनी चाहिए। किसी से बिना वजह उलझना नहीं चाहिए। शांति और सद्भाव बनाए रखने पर बल देना चाहिए। उन्होंने इस मौके पर भारत सहित विश्व भर में शांति और अमन-चैन के लिए अल्लाह से विशेष दुआ भी की।
इसी तरह शाही जामा मस्जिद फतेहपुरी में इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने नमाज से पूर्व अपने संबोधन में मुसलमानों से संयम और शांति के साथ ईद-उल-अजहा का पर्व मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा पैगंबर हजरत इब्राहिम के जरिए अपने पुत्र हजरत इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने की याद को ताजा करने के लिए हर वर्ष मनाई जाती है। अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को ख्वाब में अपने पुत्र की कुर्बानी पेश करने को कहा था, जिस पर उन्होंने अमल किया मगर अल्लाह ने ऐन मौके पर फ़रिश्ते जिब्राईल को भेज कर उनके पुत्र की जगह एक दुंबा (विशेष जानवर) को जबह (कुर्बान) करा दिया था।