विशेष
हर साल बारिश के मौसम में तालाब बन जाती है झारखंड की राजधानी
प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी
यदि इस समस्या पर काबू नहीं पाया गया, तो गंभीर हो सकता है मामला
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड की राजधानी रांची के बारे में कभी कहा जाता था कि इसकी सफाई प्रकृति ही करती है। हर दिन तीसरे पहर बारिश से शहर की सड़कें धुल जाती थीं और शहर का कचरा बह जाता था। जलनिकासी की ऐसी अद्भुत प्राकृतिक व्यवस्था दुनिया के किसी दूसरे शहर को नसीब नहीं थी, लेकिन समय ने सब कुछ बदल दिया है। आज रांची के लोग बारिश को वरदान नहीं, अभिशाप मानते हैं, क्योंकि मामूली बारिश में ही यह शहर तालाब बन जाता है। सड़कें जलमग्न हो जाती हैं और गलियों में पानी भर जाता है। घरों में पानी घुस जाता है और यह स्थिति कई दिनों तक बनी रहती है। इस जलजमाव के कारण संपत्ति का नुकसान तो होता ही है, आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है। शहरी विकास और नियोजित बसावट के सारे दावे हर साल मानसून, यानी बारिश के मौसम में फेल होते नजर आते हैं। आम लोग नगर निगम प्रशासन को कोसते हैं और नगर निगम प्रशासन इस समस्या के लिए आम लोगों को जिम्मेदार ठहराता रहता है। नतीजा यह होता है कि समस्या के निदान की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं होता और अगले साल यह समस्या थोड़ी और विकराल होकर सामने खड़ी हो जाती है। आज रांची में जलजमाव की समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि इस पर तत्काल ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इसके लिए प्रशासन को आम लोगों के साथ मिल-बैठकर उपाय तलाशना होगा और रांची के लिए एक प्रभावी योजना तैयार करनी होगी। क्या है रांची की जलजमाव की समस्या और क्या हो सकता है इसके समाधान का उपाय, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही राजधानी रांची के निचले इलाकों में रहनेवाले लोग अपना घर-बार छोड़ने की तैयारी करने लगे हैं। जो रांची कभी अपनी प्राकृतिक जलनिकासी प्रणाली के लिए दुनिया भर में चर्चित थी, आज जलजमाव की समस्या से जूझ रही है और यह समस्या हर साल गंभीर होती जा रही है। रांची के कई इलाकों में जलभराव की गंभीर समस्या खड़ी हो गयी है। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह बारिश परेशानी का सबब बन गयी है। शहर के कई क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जगह-जगह सड़कें तालाब में तब्दील हो गयी हैं। इसके कारण ट्रैफिक जाम हो रहा है और आवागमन में बाधा ने आम जनता का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
क्या है जलजमाव का कारण
पहली नजर में इस समस्या का कारण अनियोजित निर्माण नजर आता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर निर्माण हुए हैं। ये सभी निर्माण अनियोजित तरीके से किये गये हैं। कहीं भी जल निकासी की व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा गया है। इसके कारण बारिश का पानी बाहर नहीं निकल पाता है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से पानी मुख्य नाले तक पहुंच ही नहीं पाता और परिसर में भर जाता है। इससे हर वर्ष मानसून के समय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा रांची में जलजमाव के अन्य कारणों में तेजी से शहरीकरण, अनियोजित विकास, भूजल का अत्यधिक दोहन, पर्याप्त जल निकासी प्रणाली का अभाव और कूड़ा-कचरा शामिल हैं।
घर से बाहर जानेवालों को सबसे अधिक परेशानी
जमजमाव की समस्या से सबसे अधिक परेशानी घर से बाहर निकलनेवालों को होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर काम पर जानेवाले लोगों को भी इस जलभराव से परेशानी हो रही है। कई बार तो अभिभावक सुरक्षा को देखते हुए बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। ऐसा नहीं है कि यह समस्या इसी साल पैदा हुई है। यह समस्या हर साल सामने आती है और हर साल इसका स्वरूप गंभीर होता जा रहा है।
नगर निगम की सफाई व्यवस्था पर सवाल
इस आपदा के बीच रांची नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं, खासकर नालों की नियमित सफाई को लेकर। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर निगम ने मानसून से पहले कोई ठोस तैयारी नहीं की, जिससे थोड़ी-सी बारिश में भी नालियां ओवरफ्लो हो रही हैं।
नगर निगम की अलग है परेशानी
दूसरी तरफ नगर निगम की अलग परेशानी है। उसके पास संसाधनों की कमी है। इतने बड़े शहर की साफ-सफाई के लिए जितना संसाधन चाहिए, वह नगर निगम के पास नहीं है। इसलिए अक्सर सफाई व्यवस्था और कार्यप्रणाली बेअसर दिखती है। अब नगर निगम ने घोषणा की है कि जलजमाव प्रभावित इलाकों में विशेष सफाई अभियान चलाया जायेगा और सार्वजनिक चेतना अभियान के तहत नागरिकों को जिम्मेदारी समझायी जायेगी। निगम का दावा है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
नगर आयुक्त ने नागरिकों को ठहराया जिम्मेदार
हालांकि नगर निगम संसाधनों की कमी के बारे में खुले तौर पर कुछ नहीं कहता, लेकिन निजी तौर पर यह कमी सामने आती है। इसके अलावा नगर निगम प्रशासन आम लोगों को भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराता है। निगम के अधिकारी कहते हैं कि लोग बेतरतीब तरीके से प्लास्टिक कचरा नालियों में फेंकते हैं, जिससे निकासी अवरुद्ध होती है। ऐसे में मामूली बारिश भी जलजमाव का कारण बनती है।
प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद ढिलाई
हालांकि सवाल यह भी उठता है कि जब राज्य सरकार ने प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रखा है, तो जिला प्रशासन की निगरानी प्रणाली कहां है। यदि नगर निगम को प्लास्टिक समस्या की जानकारी है, तो प्रतिबंध का सख्ती से पालन और दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
रांची को कैसे मिलेगी इस समस्या से मुक्ति
बहुत पुरानी कहावत है कि यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि गड़बड़ी क्या है, बल्कि यह जानना जरूरी है कि गड़बड़ी को ठीक कैसे किया जा सकता है। रांची में जलजमाव के चाहे जो भी कारण हों, अब जरूरी है कि इससे मुक्ति कैसे मिलेगी। रांची को जलजमाव से मुक्ति कब और कैसे मिलेगी, यह एक जटिल सवाल है, जिसका सीधा जवाब देना मुश्किल है। रांची में जलजमाव की समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए अभी और समय और प्रयास की आवश्यकता है। रांची नगर निगम और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं। इसके तहत जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए नालों की सफाई और चौड़ीकरण का काम किया जा रहा है। अनियोजित विकास पर नियंत्रण पाने के लिए सख्त नियम बनाये जा रहे हैं और उनका पालन करवाया जा रहा है। भूजल का संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है और भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं। कूड़ा-कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है और कूड़ा-कचरा को सही तरीके से निपटाने के लिए व्यवस्था की जा रही है।
हालांकि इन प्रयासों के बावजूद रांची में जलजमाव की समस्या अभी भी बनी हुई है। स्थायी समाधान के लिए इन सभी प्रयासों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा लोगों को भी जागरूक होने और जल संरक्षण के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर रांची को जलजमाव से मुक्ति मिलने में अभी समय लगेगा, लेकिन यदि सभी संबंधित पक्ष मिलकर प्रयास करें, तो इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।