केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस पर उन्हें याद किया और कहा कि इन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और समानता के लिए संघर्ष किया। नेल्सन मंडेला के संघर्ष, मूल्य और शांति का संदेश दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र हर साल 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र के लिए संघर्ष और दुनिया भर में शांति को बढ़ावा देने में नेल्सन मंडेला बड़ा योगदान था। उन्हीं की याद में यह दिन मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 नवंबर 2009 को 18 जुलाई को ‘नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मानाने के प्रस्ताव अपनाया और इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया। सत्तर के दशक में दुनिया भर के छात्रावासों के बहुत सारे कमरों में मंडेला पोस्टर लगा रहता था। उस दौर में पूरी दुनिया के नौजवान उनको हीरो मानते थे। साउथ अफ्रीका का पूरा मुल्क बहुत वर्षों तक श्वेत अल्पसंख्यकों के आतंक को झेलता रहा था। अमरीका और ब्रिटेन की साम्राज्यवादी सत्ता की मदद से आतंक का राज कायम हुआ और चलता रहा। पूरा देश आज़ादी की मांग को लेकर मैदान में आ गया था।
नेल्सन मंडेला शुरू में तो हिंसा की बात करते थे लेकिन बाद में महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति को ही अपने संघर्ष का आधार बनाया। वे गांधी को प्रेरणा स्रोत मानते थे। दक्षिण अफ्रीका में मंडेला को वही सम्मान मिला जो भारत में आज़ादी के बाद महतामा गांधी को मिला था। लोग उनको राष्ट्रपिता मानते थे। दक्षिण अफ्रीका में उन्हें ‘मदीबा’ कहते हैं। यह वरिष्ठ लोगों के लिए आदर से लिया जाने वाला संबोधन है। नेलसन मंडेला को दुनिया के बहुत सारे देशों ने सम्मानित किया है। उनको 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार भी दिया गया। भारत से उनको ख़ास लगाव था। उनको भारत रत्न का सम्मान भी दिया जा चुका है।