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    Home»Top Story»अस्तित्व बचाने की लड़ाई है झामुमो की बदलाव यात्रा
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    अस्तित्व बचाने की लड़ाई है झामुमो की बदलाव यात्रा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 20, 2019No Comments5 Mins Read
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    लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक सीट पानेवाला झामुमो विधानसभा चुनावों में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में

    डिफेंसिव मोड में झामुमो
    13 अगस्त की दोपहर जब राजधानी बारिश की फुहारों में भींग रही थी, तब हेमंत सोरेन के आवास में आसन्न विधानसभा चुनावों की जीत की रणनीति तैयार हो रही थी। पार्टी के सभी जिलों के जिलाध्यक्ष हेमंत के सामने अपनी रणनीति का ब्योरा रख रहे थे। हेमंत सोरेन तैयारियों के लिए आवश्यक सुझाव दे रहे थे। बाहर बारिश की फुहारों ने मौसम को ठंडा कर दिया था पर सभाकक्ष के अंदर का माहौल गर्म था। बैठक में हर सीट पर जीत की रणनीति और इसके लिए जरूरी संसाधनों के जुगाड़ पर भी चर्चा हुई। यह बैठक पार्टी के सभी जिलों में होनेवाली बदलाव यात्रा और मोरहाबादी मैदान में होनेवाली बदलाव महारैली को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने के लिए बुलायी गयी थी। बैठक झामुमो की चुनावी तैयारियों का आगाज था और ठीक इसी दिन कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री के आवास में भाजपा कोर कमेटी की बैठक भी हुई। जिसके बाद भाजपा ने अपनी चुनावी तैयारियों का पत्ता खोल दिया। पर दोनों दलों की बैठक में मूल अंतर यह रहा कि जहां भाजपा बीते लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद आक्रामक तेवर आत्मविश्वास से लबरेज है, वहीं झामुमो डिफेंसिव मोड में है।
    झामुमो के लिए जीतो या मरो का प्रश्न बन गया है विधानसभा चुनाव
    लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करनेवाली झामुमो के लिए बदलाव यात्रा सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि पार्टी का अस्तित्व बचाने की लड़ाई है। यह चुनाव उसके लिए जीतो या मरो का प्रश्न बन गया है। क्योंकि अब जीत ही पार्टी के मनोबल को बरकरार रख सकती है। यही वजह है कि अपने 44 वें जन्मदिन पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का आशीर्वाद लेकर हेमंत सोरेन ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए तैयार की गयी रणनीति पर उनसे चर्चा की और उनका मार्गदर्शन लिया। 26 अगस्त से शुरु हो रही बदलाव यात्रा के लिए झामुमो अपनी पूरी ताकत लगा देना चाहती है। यही वजह है कि हेमंत सोरेन के आवास पर झामुमो जिलाध्यक्षों की 13 अगस्त को हुई मैराथन बैठक में बदलाव यात्रा की रणनीति बनायी गयी। एक घंटे से अधिक चली इस बैठक में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने पार्टी जिलाध्यक्षों को इस यात्रा को सफल और सार्थक बनाने का टास्क दिया। झारखंड में विपक्षी पार्टियां जिस तरह से टूट और बिखराव का शिकार हो रही हैं, ऐसे में झामुमो की इस बदलाव यात्रा का मकसद गांव-गांव और गली-गली पार्टी को मजबूत करना है। झामुमो के सामने मुख्य चुनौती संथाल में पार्टी का गढ़ बचाने की है। यहां भाजपा सेंधमारी कर चुकी है। ऐसे में वहां विधानसभा चुनावों में सीटें हासिल करना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। पहले संथाल की सीटों पर झामुमो जीत के प्रति लगभग आश्वस्त रहती थी, पर अब हालात बदल गये हैं। 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 19 सीटों पर विजय हासिल की थी। बीते विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन दो सीटों पर लड़े थे और उन्हें बरहेट सीट पर जीत हासिल हुई थी, एक सीट गवांनी पड़ी थी।
    सत्ता में बदलाव लाना है मकसद
    पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि बदलाव यात्रा और बदलाव महारैली का मकसद झारखंड की सत्ता में बदलाव लाना है। यहां जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे लोगों की राजनीति झामुमो करता है और इनके हक की बात करना ही पार्टी का मकसद है। वहीं विनोद पांडेय ने बताया कि राज्य सरकार कॉरपोरेट वर्ग के हाथों की कठपुतली की तरह काम कर रही है। सरकार के विकास के दावे अखबारों और शहर में लगे बड़े-बड़े होर्डिंगों में ही नजर आ रहे हैं।
    भाजपा के नारे की काट नहीं मिल रहा झामुमो को
    राज्य के सबसे बड़े विपक्षी दल झामुमो के सामने भाजपा के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे की काट ढूंढना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। वहीं अबकी बार 65 पार का स्लोगन भी पार्टी की नींद उड़ाये हुए है। क्षेत्रीय मुद्दों पर जनता को गोलबंद करनेवाली पार्टी के सामने भाजपा का राष्टÑवाद भी बड़ी चुनौती है। झामुमो का जल, जंगल और जमीन का नारा समय बीतने के साथ पुराना पड़ चुका है। अब इसकी सार्थकता भी नहीं है। इस नारे को नयी और पैनी धार चाहिए। हालांकि पार्टी के लिए क्षेत्रीय मुद्दों पर टिके रहना जरूरी है, क्योंकि यही झारखंड में झामुमो का आधार इसी पर टिका है। संथाल के अलावा झारखंड के अन्य जिलों में भी पार्टी को अपना आधार मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि संथाल में पार्टी का परंपरागत जनाधार खिसक रहा है। झामुमो की सबसे बड़ी ताकत ग्रामीण जनता, खासकर आदिवासी और अल्पसंख्यकों का पार्टी के साथ जुड़ाव है। राजद के माइ समीकरण की तरह जेएमएम का मुस्लिम-आदिवासी यानि मा समीकरण पार्टी का परंपरागत वोट बैंक है। ऐसे में शहरी वोटरों को गोलबंद करना पार्टी के लिए आनेवाले विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती होगी। जिस रणनीति के साथ झामुमो बदलाव महारैली की तैयारियां कर रहा है, उससे यह साफ हो गया है कि इस रैली के आयोजन का मकसद उसके लिए अपनी ताकत और दम-खम का प्रदर्शन है। राजधानी के मोरहाबादी मैदान में होनेवाली इस रैली से जहां पार्टी शहरी वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की उर्जा बटोरेगी, वहीं इससे पहले होनेवाली बदलाव यात्रा में गांव-गांव में पार्टी अपनी बात जनता के समक्ष रखेगी। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पार्टी ने जो जनसंघर्ष यात्रा की थी उसका नतीजा अच्छा नहीं निकला था। पर वह लोकसभा चुनाव था, जिसमें जनता ने राष्टÑीय मुद्दों पर वोट किया था। विधानसभा चुनाव क्षेत्रीय मुद्दों पर होना है और पार्टी का लक्ष्य इन्हीं पर फोकस करना है।

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