अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि के ठीक पीछे स्थित कुबेर टीला से छेड़छाड़ किये बगैर भव्य राम मंदिर बनेगा। इसे लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और प्रशासन ने रणनीति बना ली है। इसी के साथ कुबेर टीला को संरक्षित करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर के दक्षिणी-पश्चिम किनारे पर स्थित कुबेर टीला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) का संरक्षित स्मारक है। एएसआइ के संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सौ मीटर के दायरे में किसी प्रकार के स्थायी निर्माण पर प्रतिबंध कायम है, जबकि 101 से लेकर तीन सौ मीटर तक विभागीय अनुमति लेकर निर्माण कराया जा सकता है। इसी के चलते राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिकृत सूत्रों का कहना है संरक्षित स्मारकों के लिए बने कानून के तहत राम जन्मभूमि परिसर स्थित कुबेर टीला तीसरी श्रेणी का स्मारक है, जिसमें आवश्यक छूट दी जा सकती है। बताया गया कि इसी आधार पर ट्रस्ट की ओर से आवेदन प्रेषित किया गया है। फिलहाल मंदिर निर्माण से जुड़ी एजेंसी एलएंडटी की ओर से सर्वे रिपोर्ट के बाद ही प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को भेजा गया। शासन के माध्यम से यह प्रस्ताव केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को भेजा गया। परिसर की संपूर्ण अधिगृहीत भूमि अब राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को हस्तांतरित कर दी गयी है। यह अधिगृहीत भूमि राम जन्मभूमि और दुराही कुआं के बीच संपर्क मार्ग से दो भागों में बंटी है। पूरी अधिगृहीत भूमि का एक तिहाई हिस्सा संपर्क मार्ग के उत्तर में है, तो दो तिहाई भाग दक्षिण में है। विराजमान रामलला इसी दक्षिणी हिस्से की भूमि पर हैं, जबकि उत्तर में रामजन्म स्थान-सीता रसोई है। खास बात यह है कि राम जन्मभूमि के परिसर में अस्थायी ढांचे का हिस्सा टीले पर बसा है, तो दुराही कुआं का पूरा इलाका इसी टीले की तलहटी में स्थित है। ऐसे में एक तरफ समतलीकरण के साथ लैंड स्केप को भी बनाये रखना है। इस योजना का खाका निर्माण इकाई के अभियंताओं के पहुंचने पर खींचा जायेगा।
पौराणिक विरासत है कुबेर टीला
राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है। उसी परिसर में पौराणिक महत्व का कुबेर टीला स्थित है। ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार युगों पूर्व यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था। उन्होंने राम जन्मभूमि के निकट ऊंचे किले पर शिवलिंग की स्थापना की थी। कालांतर में यहां मां पार्वती, गणेश, नंदी, कुबेर सहित नौ देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गयी। एडवर्ड अयोध्या तीर्थ विवेचना सभा ने रामनगरी के चौरासी कोस की परिधि में जिन 148 पौराणिक स्थलों को चिह्नित किया था, उसमें कुबेर टीला भी शामिल है।
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में बजेगा जलेसर में बना 21 क्विंटल का घंटा
अयोध्या। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण पांच अगस्त को भूमि-पूजन के साथ शुरू हो जायेगा। इसे लेकर राम भक्तों में उत्साह और उमंग है। राममंदिर के भूमि पूजन के लिए देशभर के धार्मिक स्थलों से रज पहुंचायी गयी है। उत्तर प्रदेश के एटा जनपद से 21 क्विंटल का घंटा अयोध्या पहुंचाया जायेगा। यह घंटा जलेसर में बनाया गया है। यह घंटा नगरपालिका अध्यक्ष विकास मित्तल श्रीराम मंदिर प्रबंधन को दान करेंगे। करीब 11 लाख रुपये की लागत से यह घंटा दो महीने में बनकर तैयार हो पाया है। नगरपालिका अध्यक्ष ने इसे अपनी फैक्टरी में तैयार कराया है। उन्होंने बताया कि उक्त घंटे का निर्माण वाराणसी के एक घंटा व्यवसायी के आॅर्डर पर किया गया था, लेकिन अब यह घंटा अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को दान कर दिया जायेगा। वाराणसी के व्यापारी के लिए दूसरा घंटा अलग से तैयार कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्रीराम मंदिर को घंटा प्रदान करने के लिए उनकी और पिता सत्यशील प्रकाश मित्तल की प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से सात अगस्त को मुलाकात होगी। इस दौरान घंटा समर्पित कर दिया जायेगा। पालिका अध्यक्ष ने बताया कि वह जलेसर में भी भव्य राम मंदिर का निर्माण कराने जा रहे हैं। नगर के मोहल्ला सर्राफा स्थित राम मंदिर जर्जर अवस्था में है। उसका पुनर्निर्माण जनता के सहयोग से कराया जायेगा। मंदिर का शिलान्यास राम मंदिर अयोध्या के शिलान्यास के समय पर वह स्वयं करेंगे।