नई दिल्ली। साल 2016 में हुई नोटबंदी के छह साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच इसकी वैधता पर सुनवाई करेगी। इसके लिए जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच का गठन किया गया है। कल यानी 28 सितंबर को संविधान बेंच मामले की विस्तृत सुनवाई की तारीख तय कर सकती है। यह मामला 16 दिसंबर, 2016 को संविधान पीठ को सौंपा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करके सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बेंच के लिए आठ सवाल तय किये थे, जिसके तहत संविधान बेंच फैसला करेगी। कोर्ट ने पांच जजों की संविधान बेंच के समक्ष जो सवाल रखे थे उनमें पहला ये कि क्या नोटबंदी का फैसला आरबीआई एक्ट की धारा 26 का उल्लंघन है। दूसरा- क्या नोटबंदी के 8 नवंबर, 2016 और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं। तीसरा- क्या नोटबंदी संविधान के दिए समानता के अधिकार और व्यापार करने की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। चौथा- क्या नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया गया जबकि ना तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और ना ही देश भर में कैश पहुंचाने का। पांचवां सवाल- क्या बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करना अधिकारों का हनन है।
छठा सवाल जिस पर संविधान बेंच को विचार करना है कि क्या जिला सहकारी बैंको में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही नहीं है। सातवां प्रश्न कि क्या कोई भी राजनीतिक पार्टी जनहित के लिए याचिका डाल सकती है या नहीं। आठवां और अंतिम सवाल ये कि क्या सरकार की आर्थिक नीतियों में सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है।