वाशिंगटन (अमेरिका)। अमेरिका के एच1-बी वीजा के लिए आवेदन करने के लिए अब शुल्क बढ़ गया है। अब इसके लिए 100,000 (एक लाख) अमेरिकी डॉलर देने होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने शुक्रवार देररात इस संबंध में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कदम का अमेरिका में वर्क वीजा पर काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों पर गहरा असर पड़ सकता है।
सीबीएस न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यकारी आदेश में नया वीजा आवेदन शुल्क जोड़ा गया है। इसके अनुसार एच-1बी कर्मचारियों को 100,000 डॉलर का भुगतान किए बिना अमेरिका में प्रवेश नहीं मिलेगा।ट्रंप ने कहा, “हम अपने देश में ऐसे लोगों को रख पाएंगे जो बहुत उत्पादक होंगे, और कई मामलों में ये कंपनियां इसके लिए अधिक धन देंगी। वे इससे बहुत खुश हैं।” इस अतिरिक्त शुल्क का असर अमेजन, आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों सहित नियोक्ताओं पर पड़ेगा। यह कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।
इससे पहले एच-1बी वीजा के लिए लगभग 1,700 डॉलर से लेकर 4,500 डॉलर देने होते थे। आमतौर पर, इस शुल्क को नियोक्ता के लिए व्यावसायिक व्यय माना जाता है। यह नया शुल्क एच-1बी वीजा पर चल रही बहस के बीच आया है, जिसके बारे में कुछ आलोचकों का कहना है कि यह कंपनियों को अमेरिकी कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन पर विदेशी आवेदकों को नियुक्त करने में सक्षम बनाता है। आलोचकों का कहना है कि कुछ नियोक्ता उच्च कौशल आवश्यकताओं वाले वरिष्ठ पदों के बजाय प्रवेश स्तर की भूमिकाओं के लिए भी एच-1बी वीजा प्रदान करते हैं।
तकनीकी कंपनियां इस वीजा कार्यक्रम की प्रमुख लाभार्थी रही हैं। श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में किसी भी कंपनी की तुलना में अमेजन को सबसे अधिक एच1बी वीजा प्राप्त हुए। इस वर्ष, यह ऑनलाइन रिटेलर 10,000 से अधिक वीजा प्राप्त करने वालों में अग्रणी बना हुआ है। इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और गूगल का स्थान आता है।
व्हाइट हाउस के एक सहयोगी ने कहा, “इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे जिन लोगों को ला रहे हैं, वे वास्तव में अत्यधिक कुशल हैं और अमेरिकी कर्मचारियों द्वारा उनकी जगह नहीं ली जा सकती। इसलिए यह अमेरिकी कर्मचारियों की रक्षा करेगा, लेकिन यह भी सुनिश्चित करेगा कि कंपनियों के पास वास्तव में असाधारण लोगों को नियुक्त करने और उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका लाने का एक रास्ता हो।”
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के कार्यकारी निदेशक स्टुअर्ट एंडरसन ने कहा कि यदि यह योजना अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में नौकरियां स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, विशेष रूप से अनुसंधान और विकास जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में, तो यह योजना उलटी पड़ सकती है। एंडरसन ने कहा, “दूसरा प्रभाव उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में और कमी लाएगा जो अमेरिका में पढ़ाई के लिए आने में रुचि रखते हैं। अगर अमेरिका में काम के कोई अवसर नहीं हैं, तो उनके अमेरिकी कार्यक्रमों में दाखिला लेने की संभावना बहुत कम है।”
पिछले साल एच-1बी वीजा के लिए सबसे लोकप्रिय नौकरी सॉफ्टवेयर डेवलपर की थी। लॉटरी के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले एच-1बी वीजा को प्राप्त करने के लिए आवेदक के पास कम से कम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए और उसे किसी अमेरिकी कंपनी द्वारा अस्थायी नौकरी की पेशकश की गई हो।
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं के अनुसार, इस कार्यक्रम में हर साल 65,000 नए वीजा जारी करने की सीमा है, हालांकि मास्टर डिग्री या उससे अधिक योग्यता वाले कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा जारी किए जा सकते हैं। वित्तीय वर्ष 2026 के लिए यह सीमा और उच्च-डिग्री छूट कोटा पहले ही पूरा हो चुका है।