काठमांडू (नेपाल)। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ भड़के जन आंदोलन ने राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब देश में अंतरिम सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। हालात को नियंत्रित करने के लिए सेना ने मोर्चा संभाला, जिससे हिंसा पर काबू पाया गया।
इस बीच, पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति लगभग बन चुकी है। लेकिन संसद विघटन को लेकर राजनीतिक दलों में गंभीर मतभेद बने हुए हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर आज सुबह 9 बजे राष्ट्रपति भवन में फिर से बैठक बुलाई गई है।
बुधवार देर रात साढ़े 10 बजे से शुरू हुई बैठक तड़के 3 बजे तक चली। इसमें राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, प्रधान सेनापति, संसद के स्पीकर दराज घिमिरे, राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश प्रकाश सिंह राउत, और स्वयं सुशीला कार्की मौजूद रहीं। बैठक के बाद सेनाध्यक्ष ने पुष्टि की कि सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बन गई है, लेकिन संसद भंग पर कोई फैसला नहीं हुआ।
गौरतलब है कि नेपाल के संविधान में पूर्व प्रधान न्यायाधीश को राजनीतिक पद पर नियुक्त करने की अनुमति नहीं है। लेकिन आपात स्थिति और “आवश्यकता के सिद्धांत” का हवाला देकर दलों ने इस पर सहमति जताई है।
इधर, नेपाली कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी दल संसद भंग करने के खिलाफ हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सरकार गठन की प्रक्रिया संविधान और संसद के दायरे में रहकर ही आगे बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं, जेन जी समूह संसद भंग की मांग पर अड़ा हुआ है।
राष्ट्रपति पौडेल लगातार दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। देर रात उन्होंने प्रचंड से टेलीफोन पर और पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल से रायशुमारी की।