बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज में खर्च हुए करीब 44 करोड़ की राशि वापस लेने में झारखंड सरकार के हाथ पांव फूल रहे हैं. बकाया राशि वापस लेने के मद्देनजर लगातार कई पत्र लिखे जाने के बावजूद पिछले दो वर्षों से बिहार ने झारखंड को अब तक बकाया राशि नहीं दी है.
लिहाजा, इससे हर दिन उनका बकाया भी बढ़ रहा है. जानकारी के मुताबिक रांची इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरो साईकेट्री (रिनपास) मानसिक रोग अस्पताल में हर दिन पहुंचने वाले रोगियों में आधे से ज्यादा रोगियों की संख्या बिहार से होती है.
इस बारे में रिनपास के निदेशक डॉ. सुभाष सोरेन ने कहा कि मरीज चाहे बिहार से आए हो यहां झारखंड के हो यहां किसी के भी इलाज में रिनपास ने कभी कोई कोताही नहीं बरती है.
उन्होंने कहा कि ओपीडी से लेकर इंडोर तक में बिहार के मानसिक रोगियों के इलाज के बाद अब बिहार सरकार झारखंड को इलाज में हुए खर्च का 44 करोड़ रुपए नहीं दे रही है. इस संबंध में रिनपास के निदेशक ने बिहार के स्वास्थ्य सचिव को कई बार पत्र लिखकर राशि भुगतान की मांग भी की, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया.
रिनपास के निदेशक की मानें तो दो साल पहले बिहार सरकार ने केवल एक बार 7 करोड़ रुपए दिए थे. उसके बाद लगातार बिहार इलाज का खर्च देने में आनाकानी कर रहा है.
वहीं इस सिलसिले में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि वो इसी साल नवंबर माह में खुद बिहार जाएंगे. फिर भी बिहार ने अगर इलाज में खर्च राशि देने से इंकार किया तो झारखंड सरकार केंद्र के सामने इस मामले को उठागी.