विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भैया दूज के पवित्र मौके पर बाबा केदार की पूजा के बाद विधि-विधान के साथ मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग एवं मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने प्रशासन की मौजूदगी में सुबह 8.20 मिनट पर कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होने पर दो हजार भक्त मौजूद थे।
अब भगवान केदारनाथ की छह माह शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में की जाएगी। शनिवार सुबह मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने भगवान केदारनाथ की समाधि पूजा कराई इसके बाद विधि-विधान के साथ कपाट बंद होने की परंपरा पूरी की गई। 8.20 मिनट पर मंदिर के कपाट बंद किए गए । जबकि मुख्य द्वार पर रावल भीमाशंकर लिंग ने कपाट बंद होने की परंपरा के बारे में भक्तों को जानकारी दी। 8.23 पर बाबा केदार की चलविग्रह पंचमुखी मूर्ति ने केदारनाथ मंदिर की परिक्रमा की। इसके बाद डोली ने भक्तों के साथ ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। सेना के बैंडों की मधुर धुनों के बीच भक्तों ने मार्ग में जमकर नृत्य किया।
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पद यात्रा के पहले पड़ाव में डोली शनिवार शाम को रामपुर पहुंची। इसके बाद 22 अक्तूबर को डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी जबकि 23 को डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। इस मौके पर केदारनाथ विधायक मनोज रावत, डीएम मंगेश घिल्डियाल, एसपी पीएन मीणा, बीकेटीसी सीईओ बीडी सिंह, एसआई बिपिन चन्द्र पाठक सहित कई लोग उपस्थित थे। ग्रीष्मकाल के दौरान छह महीने भगवान केदारनाथ समुद्रतल से 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारपुरी में भक्तों को दर्शन देते हैं। जबकि, शीतकाल के छह महीने उनका प्रवास पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर धाम में होता है। इस साल तीन मई को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले थे।
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