बिहार के सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सिटानाबाद पंचायत के गंगा प्रसाद टोले की छात्रा प्रियंका सिंह मैट्रिक की परीक्षा में अब टॉप-10 में शामिल हो गयी है. बिहार बोर्ड ने उसे फेल घोषित कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के आदेश पर प्रियंका की कॉपी की दोबारा जांच की गयी. इसके बाद अब सहरसा की यह बेटी टॉप-10 में आ गयी है. पढ़िए क्या है फेल घोषित कर दी गयी प्रियंका के टॉप-10 में आने के पीछे की पूरी कहानी.
मैट्रिक में फेल होने के बाद खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) की ओर से प्रियंका सिंह को मैट्रिक की परीक्षा में फेल घोषित कर दिया गया था. इसके खिलाफ प्रियंका ने न्याय के लिए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट में उसकी ओर से याचिका दायर की गयी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कॉपी की दोबारा जांच कराई. इस दौरान बिहार बोर्ड की बड़ी लापरवाही सामने आई. संस्कृत में दिये थे 4 नंबर, विज्ञान में 29 अंक
प्रियंका ने इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दी थी, जहां उसे संस्कृत में चार और विज्ञान में 29 अंक दिये गये थे. इसके बाद उसने स्क्रूटनी कराने की ठानी.
सुनवाई से पहले छात्रा ने जमा करा दी थी राशि
रिज़ल्ट के बाद प्रियंका ने स्क्रूटनी में संस्कृत और विज्ञान का पुनर्मूल्यांकन कराया, तब संस्कृत में 9 और विज्ञान में सात अंक आए. इसके बाद छात्रा ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रियंका के वकील को कहा कि अगर छात्रा के आरोप ग़लत पाये गये तब 40 हज़ार रुपए आर्थिक दंड लगेगा. छात्रा ने इस मामले की सुनवाई से पहले राशि जमा करा दी.
…ऐसे खुली बिहार बोर्ड की कलई
बिहार बोर्ड ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रियंका की कॉपी जमा करायी, लेकिन इसमें हैंडराइटिंग किसी और की थी. प्रियंका की आंसर शीट और ओरिजनल हैंडराइटिंग मेल नहीं खा रही थी. आंसर शीट की खोज की गयी. इस दौरान मालूम हुआ कि प्रियंका की आंसर शीट में बार कोडिंग गलत तरीके से हुई थी, जिससे प्रियंका की आंसर-शीट से दूसरी छात्रा संतुष्टि कुमारी को संस्कृत और विज्ञान में फेल से पास कर दिया गया, जबकि प्रियंका पास से फेल कर दी गई थी. हाईकोर्ट ने बोर्ड को मैट्रिक परीक्षा 2017 की सभी आंसर शीट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है.
कोर्ट के सामने जांची गयी तो संस्कृत में 61 व विज्ञान में आए 80 अंक
जब कोर्ट के सामने कॉपी की जांच हुई, तब प्रियंका को संस्कृत में 61 और विज्ञान में 80 नंबर आए.
तीन महीने के अंदर करें पांच लाख का भुगतान
पटना हाईकोर्ट ने बिहार बोर्ड को दोषी मानते हुए उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया. बिहार बोर्ड को आदेश दिया गया कि तीन महीने के अंदर यह राशि प्रियंका को भुगतान करें. हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में प्रियंका और उसके अभिभावक को मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना बड़ा है.
राजीव सिंह की पुत्री है प्रियंका
राजीव कुमार सिंह की पुत्री प्रियंका ने मैट्रिक की परीक्षा डीडी हाई स्कूल सरडीहा से दी थी. उसका रोल कोड 41047 और रौल नंबर 1700124 था. उसे संस्कृत में मात्र 4 अंक मिले थे, जिसके कारण वह फेल कर दी गई थी.
फेल से सदमे में थी प्रियंका
रिजल्ट देखने के बाद पढ़ाई में तेज प्रियंका सदमे में थी. मैट्रिक की परीक्षा में वह फेल थी. वह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं थी.
टॉप-10 में आई प्रियंका
अपनी जिद और परिवार के सहयोग से प्रियंका को न सिर्फ न्याय मिला और आज वह बिहार के टॉप-10 में शामिल है, बल्कि बिहार बोर्ड की बड़ी लापरवाही भी सबके सामने आ गयी है.