रांची : विपक्षी पार्टियां और जनसंगठन, राज्य सरकार के खिलाफ साझा आंदोलन चलायेंगे़ भूमि अधिग्रहण कानून में किये गये संशोधन, स्थानीय नीति और सरकार की नीतियों के खिलाफ एक प्लेटफॉर्म से आंदोलन होगा़.
विपक्षी दल और जनसंगठन आंदोलन से लेकर चुनावी रणनीति के लिए समन्वय समिति और कोर कमेटी बनायेंगे़ समन्वय समिति में शामिल सदस्य कोर कमेटी के सदस्यों का चयन करेंगे़ सोमवार को राजधानी के सेलिब्रेशन हॉल में झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद, जदयू (शरद), सपा, वामदल और जनसंगठन के नेताओं की बैठक हुई़ इसमें झाविमो की ओर से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव, रामचंद्र केशरी, कांग्रेस से सुबोधकांत सहाय, फुरकान अंसारी, गीताश्री उरांव, करमा उरांव, बेंजामिन लकड़ा, झामुमो के सुप्रियो भट्टाचार्य, भाकपा के भुनेश्वर मेहता, केडी सिंह, राजद के गौतम सागर राणा, सपा के रंजन यादव, मनोहर यादव, माकपा के डीके बख्शी, मासस के सुशांतो सहित दयामनी बारला, वासवी किड़ो, पीसी मुर्मू, अजय तिर्की, प्रेम शाही मुंडा, प्रभाकर तिर्की, राजू महतो, हिमांशु राय पांडेय सहित कई नेता व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.प्रखंड और प्रमंडल स्तर पर साझा कार्यक्रम होंगे : बैठक में तय किया गया कि विपक्षी दल व जनसंगठन सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन, जमीन अधिग्रहण के मुद्दे व स्थानीय नीति के खिलाफ किये गये आंदोलन के क्रम में दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए मुहिम चलायेगा़ इस मांग को लेकर 13 नवंबर को राजभवन के समक्ष महाधरना दिया जायेगा़ प्रस्ताव पेश करते हुए झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार एक महीने के अंदर दर्ज मुकदमे वापस ले़ आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने दमनकारी नीति अपनायी है़ एक महीने के अंदर मुकदमे वापस नहीं हुए, तो आंदोलन को तेज किया जायेगा़ महाधरना के बाद आगे के आंदोलन का खाका तैयार किया जायेगा़ प्रखंड और प्रमंडल स्तर पर साझा कार्यक्रम होंगे.संघर्ष, चुनाव और एकजुटता की बात हुई : बैठक में सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जमीन पर संघर्ष के साथ-साथ आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में विपक्ष की एकजुटता की भी बात हुई़ 2019 में होने वाले चुनाव में गठबंधन को लेकर भी समन्वय और कोर कमेटी में बात होगी़ बैठक में विपक्षी दल के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना था कि पूरे राज्य में सरकार की नीतियों को लेकर आक्रोश है़ गांव-गांव में लोग आंदोलनरत है़ं सरकार धर्म स्वतंत्र बिल लाकर समाज को बांट रही है़ वहीं भूमि अधिग्रहण बिल -2013 में संशोधन कर किसानों और गरीबों की जमीन छीनने की साजिश कर रही है़ विपक्षी दल और जनसंगठन सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगे.