सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के लिए नए नियमों को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल शिवलिंग का जलाभिषेक आरओ वॉटर से होगा। सुप्रीम कोर्ट ने चढ़ावे से शिवलिंग का आकार छोटा (क्षरण) होने को लेकर दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई अब 30 नवंबर को होगी।
आपको बता दें कि महाकाल शिवलिंग के क्षरण को लेकर कोर्ट में एक दायर याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुरातत्व विभाग, भूवैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम ने महाकाल का दौरा किया था। टीम ने यहां पर शिवलिंग, पानी, फूल, दूध सहित अन्य सभी जरूरी वस्तुओं की जानकारी लेते हुए कुछ सैंपल भी जुटाए थे। जांच टीम ने अभिषेक सामग्री को लेकर कुछ सुझाव दिए थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने जांच टीम आठ सुझावों पर अमल करने के लिए हरी झंडी दे दी है, जिनमें शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की मात्रा तय करना और सिर्फ आरओ से शुद्ध किया जल चढ़ाया जाना शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पानी की मात्रा तय करते हुए कहा कि अब भक्त आधा लीटर पानी ही ले जा पाएंगे। वहीं कोर्ट ने दुग्धाभिषेक के लिए 1.25 लीटर की मात्रा तय कर दी है।
आदेश के मुताबिक भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढका जाएगा। अभी तक सिर्फ 15दिन के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था। शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाज़त नहीं होगी, बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत न हो।
शाम 5 बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी।