रांची। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सलाहकार पूर्व आइपीएस अधिकारी के विजय कुमार अभी कुछ दिन पहले झारखंड के दौरे पर आये थे। उन्होंने यहां कई अधिकारियों से मुलाकात भी की थी। उनसे मिलनेवालों में सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट शंभु प्रसाद विश्वास भी थे। यह वही विश्वास हैं, जिन पर चाईबासा में फर्जी नक्सली मुठभेड़ की अगुवाई करने का आरोप है। दस साल पहले उन्होंने निर्दोष युवक मंगल होनहांगा को मारकर उसे नक्सली बता दिया था। इस मामले का अनुसंधान सीआइडी कर रही है। उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है। जिस समय की यह घटना है, उस समय के विजय कुमार सीआरपीएफ के डीजी हुआ करते थे।
घिघियाने लगे सहायक कमांडेंट
के विजय कुमार से मिलकर सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट विश्वास घिघियाने लगे। उसने शिकायत की कि यह स्थिति रही, तो झारखंड में अभियान चलाना मुश्किल होगा। यहां तो पुलिस मुकदमा कर रही है। विश्वास का कहना था कि घटना के लिए सिर्फ वही दोषी नहीं है। जिस समय विश्वास झारखंड पुलिस के अधिकारियों पर आरोप लगा रहे थे, उस समय पुलिस मुख्यालय में कई सीनियर अधिकारी भी थे। के विजय कुमार ने झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों की ओर सवालिया नजरों से देखा और जानने की कोशिश की थी कि यह मामला क्या है।
क्या कर सकता है केंद्र
विश्वास केंद्र सरकार के अधिकारी हैं। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीआरपीएफ मुख्यालय को देनी होगी। मंगल होनहांगा मुठभेड़ कांड का अनुसंधान सीआइडी कर रही है। इसमें विश्वास के विरुद्ध कई पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं।
बिहार में जेल जा चुके हैं एक कमांडेंट
बिहार में सीआरपीएफ के कमांडेंट को उस समय जेल भेज दिया गया था, जब उनकी नक्सलियों से बातचीत रिकॉर्ड हो गयी थी। उस समय भी सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने काफी हंगामा किया था। कमांडेंट पुलिस की सूचना नक्सलियों को लीक करते थे। उनका नाम एस यादव था। बिहार पुलिस ने सीआरपीएफ के आला अधिकारियों की कोई बात नहीं सुनी। एफआइआर करके उसे जेल भेज दिया था। झारखंड में तो यह फर्जी मुठभेड़ का मामला है। इस तरह के कई मामले हैं। यहां कोहराम मचा है। फर्जी मुठभेड़ के सबसे अधिक मामले झारखंड में ही हैं।
सीआरपीएफ के कमांडेंट ने कहा, ऐसे कैसे चलेगा अभियान
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