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    Home»Breaking News»भारत की जासूसी के लिए पाकिस्तान ने तैनात किया अवाक्स
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    भारत की जासूसी के लिए पाकिस्तान ने तैनात किया अवाक्स

    sonu kumarBy sonu kumarOctober 23, 2020No Comments3 Mins Read
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     बालाकोट एयर स्ट्राइक में भारत से मात खाने के बाद पाकिस्तान ने हाल ही में स्वीडन की कंपनी साब एयरोस्पेस से चोरी-छिपे नया अवाक्स (एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स) खरीदा है। इसे भारत की जासूसी के लिए पाकिस्तान के मिन्हास एयरफोर्स बेस पर तैनात किये जाने का खुलासा एक ओपन सोर्स इंटेलिजेंस कंपनी ने सेटेलाइट तस्वीरों से किया है। पाकिस्तान का यह एयरफोर्स बेस भारत के श्रीनगर से 222 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से उड़ान भरने के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मुश्किल से पांच मिनट में भारतीय वायुसीमा में प्रवेश कर सकते हैं। साथ ही कश्मीर और लद्दाख में भारत की ऑपरेशनल उड़ानों पर भी नजर रखी जा सकती है।   
     
    दरअसल भारत ने ​पुलवामा हमले के बाद फरवरी, 2019 में इसी तकनीक का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट एयर स्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद और दूसरे आतंकी शिविरों को तबाह किया था। सेना ने सुरक्षा कारणों और गोपनीयता बनाए रखने की वजह से इसका कोड नाम ऑपरेशन बंदर दिया था। उस समय तक पाकिस्तान के पास यह अवाक्स सिस्टम नहीं था, इसलिए भारत के एयर स्ट्राइक के बारे में भनक तक नहीं लग सकी थी। ​​​अवाक्स या एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट आधुनिक युद्धशैली का बहुत अहम हिस्सा है। यह सिस्टम दुश्मन और दोस्त के फाइटर प्लेन्स को आसानी से पहचान लेता है। इनकी मदद से दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखी जा सकती है।​ ​हवाई नियंत्रण एवं चेतावनी तकनीक खास तौर पर युद्ध क्षेत्र के लिए विकसित की गई रडार पिकेट तकनीक है। इस तकनीक के जरिए लंबी दूरी में भी लड़ाकू विमानों को आदेश (कमांड) दिया जा सकता है। उन्हें टारगेट को तबाह करने के लिए नियंत्रित किया जा सकता है।
     
    इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे ट्रैक करना बहुत मुश्किल होता है। ​​इस हवाई चेतावनी और नियंत्रण तकनीक का इस्तेमाल जमीन पर सर्विलांस यानी की जासूसी के लिए भी होता है। इस तकनीक का इस्तेमाल रक्षात्मक एवं आक्रमक हवाई संचालन दोनों के लिए किया जाता है। इस तकनीक के जरिए 400 किलोमीटर दूर से ही किसी भी संदिग्ध हवाई गतिविधि की पहचान की जा सकती है। हवाई चेतावनी और नियंत्रण तकनीक वाले लड़ाकू विमान 30​ हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं और 312,000  किलोमीटर का क्षेत्र कवर कर सकते हैं। यह तकनीक किसी भी तरह के खतरे को पहले ही भांप लेती है और खतरे का डाटा, टारगेट की पहचान कर लेती है।  
     
    भारत से मात खाने के बाद पाकिस्तान ने हाल ही में स्वीडन की कंपनी साब एयरोस्पेस से चोरी-छिपे नया अवाक्स (एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स) खरीदा है। पाकिस्तान जब स्वीडन की कंपनी से यह डील कर रहा था तो इसे सीक्रेट रखा गया था। इस डील के बारे में किसी को भनक न लग पाए, इसलिए स्वीडिश कंपनी साब ने भी केवल इतना बताया था कि यह एक अघोषित क्लाइंट के लिए ऑर्डर है। बाद में जब इस डील का खुलासा हुआ तो पता चला कि नए अवाक्स की आपूर्ति पाकिस्तान को की गई है। अब ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa_ द्वारा जारी की गई एक नई तस्वीर में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान ने अपने एयरफोर्स बेस मिन्हास में नए एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स की तैनाती की है। इस तस्वीर में Saab 2000 ERIEYE AEW & C लिखा हुआ है। ​
     
    पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित मिन्हास एयरबेस या कामरा एयरबेस भारत के श्रीनगर से 222 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से उड़ान भरने के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मुश्किल से पांच मिनट में भारतीय वायुसीमा में प्रवेश कर सकते हैं। इसके पहले पाकिस्तान ने बरसों से वीरान पड़े स्कर्दू एयरबेस को फिर से चालू कर दिया है। इस एयरबेस पर पाकिस्तान ने जेएफ-17 लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। पाकिस्तान के इस एयरबेस का उपयोग चीनी सेना भी करती है।
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    sonu kumar

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