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    Home»विशेष»झारखंड के लिए प्रत्याशी चयन कर भाजपा ने दिये दो बड़े संदेश
    विशेष

    झारखंड के लिए प्रत्याशी चयन कर भाजपा ने दिये दो बड़े संदेश

    shivam kumarBy shivam kumarOctober 22, 2024No Comments6 Mins Read
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    विशेष
    बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट देकर खेमेबंदी को जड़ से कर दिया खत्म
    पार्टी ने नये चेहरों को मौका देकर बुजुर्ग नेताओं को दिया बदलाव का मैसेज
    राज्य के जातीय और सामाजिक समीकरणों का भी पार्टी ने रखा है खास ध्यान

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    झारखंड में अगले महीने होनेवाले विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसके साथ ही चुनाव से संबंधित दूसरी रणनीतियों को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। इन सभी सियासी और प्रशासनिक गतिविधियों के बीच विभिन्न दल अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप दे रहे हैं। इस मामले में विपक्षी एनडीए ने बढ़त बना ली है, क्योंकि भाजपा समेत उसके सभी चार घटक दलों ने सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने के बाद प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी है। एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भाजपा ने 66 प्रत्याशियों की सूची जारी कर साफ कर दिया है कि वह इस चुनाव को जीतने में कोई भी कसर बाकी नहीं रखनेवाली। पार्टी ने इस सूची के माध्यम से दो बड़े राजनीतिक संदेश दे दिये हैं। पार्टी ने सभी बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट देकर प्रदेश इकाइ की खेमेबंदी को एक झटके में खत्म कर दिया है। अब पार्टी के सभी बड़े नेता अपने-अपने परिजनों को जिताने के लिए मेहनत करेंगे। इससे न केवल पार्टी को लाभ होगा, बल्कि उन नेताओं को दूसरों के खिलाफ काम करने का मौका नहीं मिलेगा। भाजपा ने प्रत्याशियों की सूची के जरिये दूसरा संदेश यह दिया है कि वह बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार है। पार्टी ने नये चेहरों को मौका देकर अपने बुजुर्ग नेताओं को बता दिया है कि पार्टी बदल रही है और झारखंड का चुनाव पीढ़ियों के अवसान और उदय का गवाह बनेगा। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए जारी भाजपा प्रत्याशियों की सूची के क्या हैं सियासी संदेश और इसका क्या हो सकता है असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    झारखंड में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। 13 नवंबर को होनेवाले पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का काम चल रहा है, जबकि 20 नवंबर को होनेवाले दूसरे चरण के चुनाव के लिए अधिसूचना अगले कुछ घंटों में जारी होनेवाली है। झारखंड की छठी विधानसभा के 81 सदस्यों को चुनने के लिए हो रहा यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण और रोमांचक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर दल और गठबंधन अपनी रणनीति में किसी तरह का रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है। जहां तक बात विपक्षी एनडीए गठबंधन की है, तो उसने झारखंड में न केवल सीट शेयरिंग को तेजी से अंतिम रूप दे दिया, बल्कि भाजपा और उसके तमाम सहयोगी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी। एनडीए की सीट शेयरिंग फार्मूले में भाजपा को 68, आजसू को 10, जदयू को दो और लोजपा (आर) को एक सीट मिली है। इन सभी दलों ने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। भाजपा ने 66 प्रत्याशियों की सूची जारी की है, जबकि आजसू ने आठ प्रत्याशी घोषित किये हैं।

    भाजपा की सूची जारी होने के बाद, जैसा कि हर चुनाव में होता है, असंतोष पैदा हो गये है। कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। लेकिन भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व इस स्थिति को पहले ही भांप चुका था। इसलिए उसकी तरफ से इस तरह की असंतुष्ट गतिविधियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। पार्टी ने प्रत्याशियों के चयन में कई मुद्दों को ध्यान में रखा था। इसमें खास सावधानी बरती गयी है। सभी जातीय और सामाजिक समीकरणों के अलावा आरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विशेष रणनीति के तहत प्रत्याशियों का चयन किया गया है।

    उम्मीदवारों के चयन में सर्वे रिपोर्ट बना आधार
    इस चुनाव में भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक पांच सालों तक रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में भाजपा सरकार ने कार्यकाल पूरा किया। लेकिन चुनाव के ऐन मौके पर सरयू राय का टिकट काटना और आजसू पार्टी के साथ समझौता नहीं हो पाना भाजपा को महंगा पड़ा। दोनों ही दलों को 2019 के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा और भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी। इसलिए इस बार पार्टी की ओर से पहले सर्वे काराया गया। अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही उम्मीदवार चयन का काम पूरा किया गया।

    बड़े नेताओं के परिजनों को मौका
    झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जारी 66 प्रत्याशियों की सूची पर नजर दौड़ाने से एक बात साफ हो जाती है कि पार्टी ने परिवारवाद के अपने मुद्दे को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। उसने झारखंड के तमाम बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट देकर साफ कर दिया है कि अभी उसकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर चुनाव जीतना है। पार्टी ने बड़े नेताओं की पत्नियों, भाइयों, बेटों और बहुओं को टिकट दिया है। इसके अलावा सभी वर्गों को भी साधने की कोशिश की गयी है। इस सूची से एक बात तो साफ है कि भाजपा ने सभी बड़े नेताओं को साधने की कोशिश की है। इसका लाभ यह होगा कि अब पार्टी के सभी नेताओं को अपने परिजनों के चुनाव पर फोकस करना होगा और वे पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी नेताओं को नुकसान पहुंचाने पर ध्यान नहीं दे सकेंगे। इससे पार्टी की प्रदेश इकाई में व्याप्त खेमेबंदी को खत्म करने में भी मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए चंपाई सोरेन के साथ ही उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को भी टिकट दिया गया है, तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को भी प्रत्याशी बनाया गया है। पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को भी मैदान में उतारा गया है, तो मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भी टिकट दिया गया है। इतना ही नहीं, सांसद ढुल्लू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो और पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को भी मैदान में उतारा गया है। इससे साफ है कि भाजपा अपने बड़े नेताओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी और उनके बीच जारी प्रतिद्वंद्विता को खत्म करने का इससे अच्छा उपाय उसके पास नहीं था।

    दूसरी पीढ़ी को दिया गया अवसर
    भाजपा ने प्रत्याशी चयन के जरिये दूसरा बड़ा संदेश यह दिया है कि झारखंड विधानसभा का यह चुनाव उसके लिए बदलाव का बड़ा संकेत है। यह चुनाव पीढ़ियों के अवसान और उदय का गवाह बनेगा। इसलिए पार्टी ने दूसरी पीढ़ी के कई प्रत्याशियों को मौका दिया है। भाजपा में सबसे बड़ी समस्या थी कि उसके कई बड़े नेता अपने लोगों के लिए टिकट मांग रहे थे। इसलएि पार्टी ने उनकी दूसरी पीढ़ी को तवज्जो दी है। हरियाणा में भी भाजपा ने यही फार्मूला अपनाया था, जो कामयाब रहा था। पार्टी ने अपने बुजुर्ग नेताओं को बता दिया है कि यह बदलाव का दौर है और नयी पीढ़ी के लिए उन्हें जगह खाली करनी होगी।

    भाजपा के प्रत्याशियों की सूची के इन दो संदेशों के अलावा इसमें सामाजिक संतुलन का भी खास ध्यान रखा गया है। इसलिए सूची जारी होने के बाद पार्टी के भीतर उभरे असंतोष का कोई खास असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। अब इन प्रत्याशियों में कितनों को झारखंड की सबसे बड़ी पंचायत में प्रवेश का अधिकार मिलता है, यह तो 23 नवंबर को ही पता चलेगा।

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