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    Home»अन्य खबर»इतिहास के पन्नों में 14 अक्टूबरः जलते टैंक के साथ डटे रहे, दुश्मनों को नहीं बढ़ने दिया आगे
    अन्य खबर

    इतिहास के पन्नों में 14 अक्टूबरः जलते टैंक के साथ डटे रहे, दुश्मनों को नहीं बढ़ने दिया आगे

    shivam kumarBy shivam kumarOctober 13, 2024No Comments4 Mins Read
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    बहादुरी और अनुशासन के पर्यायवाची रहे सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पूना में एक फौजी परिवार में हुआ था। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया। अरुण खेत्रपाल जिस परिवार में जन्मे उसमें फौजी जीवन के संस्कार पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे थे। उनके परदादा सिख सेना में कार्यरत थे और 1848 में उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उनका मोर्चा चिलियाँवाला में हुआ था। उनके दादाजी पहले विश्वयुद्ध के सैनिक थे तथा 1917 से 1919 तक उन्होंने इसमें हिस्सा लिया था। अरुण खेत्रपाल के पिताजी मदन लाल खेत्रपाल ब्रिगेडियर थे और उन्होंने अतिविशिष्ट सेना मेडल प्राप्त किया।

    भारत-पाकिस्तान का वह युद्ध जिससे बांग्लादेश का जन्म हुआ, उसमें जिन भारतीय शूरवीरों ने प्राणों की आहुति दी थी, अरुण खेत्रपाल इन बहादुर सपूतों में एक थे। 16 दिसम्बर, 1971 अरुण खेत्रपाल एक स्क्वेड्रन की कमान संभालते हुए ड्यूटी पर तैनात थे तभी एक-दूसरे स्क्वेड्रन को मदद की ज़रूरत पड़ी और उसने सन्देश भेजा। अरुण खेगपाल अपनी टुकड़ी लेकर शकरगढ़ सेक्टर के जरपाल पर तैनात उस स्क्वाड्रन की मदद के लिए चल पड़े। अइस कूच में टैंक पर खुद अरुण थे, जो दुश्मन की गोलाबारी से बेपरवाह उनके टैंकों को बर्बाद करते जा रहे थे।

    इसी दौरान में उनका टैंक दुश्मन के निशाने पर आ गया और उसमें आग लग गई। तब उनके कमाण्डर ने उन्हें टैंक छोड़ कर अलग हो जाने का आदेश दिया। लेकिन उन्हें इस बात का एहसास था कि उनका डटे रहना दुश्मन को रोके रखने के लिए कितना जरूरी है। इसलिए उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए हटना मंजूर नहीं किया और उन्होंने खुद से सौ मीटर दूर दुश्मन का एक टैंक बर्बाद कर दिया। तभी उनके टैंक पर एक और हमला हुआ और उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी।

    अन्य अहम घटनाएंः

    1882- शिमला में पंजाब विश्वविद्यालय की स्थापना। यह ब्रिटिश उपनिवेशवादी सरकार द्वारा कलकत्ता, मुंबई और मद्रास के बाद स्थापित किया गया भारत का चौथा विश्वविद्यालय था।

    1933- जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के समूह से बाहर आने की घोषणा की।

    1943- जापान ने फिलीपींस की स्वतंत्रता की घोषणा की।

    1946- हालैंड और इंडोनेशिया के बीच संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर।

    1948- इजरायल और मिस्र के बीच जबरदस्त लड़ाई शुरू।

    1953- भारत में संपदा शुल्क अधिनियम प्रभाव में आया।

    1956- डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने 3,85,000 अनुयायियों के साथ कोचांदा में बौद्ध धर्म स्वीकार किया।

    1981- होस्नी मुबारक मिस्र के चौथे राष्ट्रपति बने।

    1979- जर्मनी के बॉन में परमाणु ऊर्जा के खिलाफ एक लाख लोगों ने प्रदर्शन किया।

    1997- ब्रिटेन की महारानी ऐलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फ़िलिप ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

    1999- परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सी.टी.बी.टी.) अमेरिकी सीनेट में नामंजूर।

    2000- संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पाक समेत 22 देशों में अपने दूतावास बंद।

    2002- कतर में मिलने के वायदे के साथ 14वें एशियाई खेलों का बुसान में रंगारंग समापन।

    2004- पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ को सेना प्रमुख बनाये रखने वाला विधेयक पारित किया।

    2007- अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने चिकित्सा और कृषि क्षेत्रों में परमाणु प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए नेपाल को मंजूरी प्रदान की।

    2008 – भारतीय रिजर्व बैंक ने म्युचुअल फंड्स की ज़रूरतें पूरी करने के लिए अतिरिक्त 200 अरब रुपये जारी करने की घोषणा की।

    2010- राजधानी दिल्ली में चल रहे 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का समापन।

    2012- नाइजीरिया की एक मस्जिद में बंदूकधारियों ने 20 लोगों की हत्या की।

    जन्म

    1643- बहादुर शाह प्रथम- दिल्ली का मुगल बादशाह।

    1863- लालू भाई सामलदास मेहता- प्रसिद्ध उद्योगपति, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने ‘सर’ की उपाधि दी थी।

    1884- लाला हरदयाल- भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और ‘गदर पार्टी’ के संस्थापक।

    1924- बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य- असमिया साहित्यकार थे।

    1931- निखिल रंजन बनर्जी- संगीतकार।

    1950- सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल – परमवीर चक्र सम्मानित भारतीय सैनिक।

    1979- रित्विक भट्टाचार्य – भारत के स्कवेश खिलाड़ी हैं।

    1996- हरजिंदर कौर- भारत की महिला भारोत्तोलक (वेटलिफ़्टर) हैं।

    निधन

    1240- रज़िया सुल्तान- भारत की पहली महिला शासक।

    1947- नरसिंह चिन्तामन केलकर- लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के सहयोगी पत्रकार और मराठी साहित्यकार।

    1998- दसरथ देब- भारतीय राजनीतिक दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिज्ञ थे।

    2004 – दत्तोपन्त ठेंगडी- राष्ट्रवादी ट्रेड यूनियन नेता एवं भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक।

    2013- मोहन धारिया- पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता।

    2020- शोभा नायडू – भारत की प्रमुख कुचिपुड़ी नर्तकियों में से एक थीं।

    महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

    विश्व मानक दिवस

    विश्व डाक दिवस (सप्ताह)

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